भारत के साथ लद्दाख में सीमा विवाद बढ़ा रहे चीन ने अब रूस के शहर व्लादिवोस्तोक पर अपना दावा किया है. चीन के सरकारी समाचार चैनल सीजीटीएन के संपादक शेन सिवई ने दावा किया कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर 1860 से पहले चीन का हिस्सा था. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि इस शहर को पहले हैशेनवाई के नाम से जाना जाता था. जिसे रूस से एकतरफा संधि के तहत चीन से छीन लिया था.


चीन में जितने भी मीडिया संगठन हैं सभी सरकारी हैं. इसमें बैठे लोग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर ही कुछ भी लिखते और बोलते हैं. कहा जाता है कि चीनी मीडिया में लिखी गई कोई भी बात वहां के सरकार के सोच को दर्शाती है. ऐसी स्थिति में शेन सिवई का ट्वीट अहम हो जाता है. हाल के दिनों में रूस के साथ चीन के संबंधों में खटास भी आई है.


रूस ने कुछ दिन पहले ही चीन के खुफिया एजेंसी के ऊपर पनडुब्बी से जुड़ी टॉप सीक्रेट फाइल चुराने का आरोप लगाया था. इस मामल में रूस ने अपने एक नागरिक को गिरफ्तार भी किया था. जिसपर देश द्रोह का आरोप लगाया गया है. आरोपी रूस की सरकार में बड़े ओहदे पर था जिसने इस फाइल को चीन को सौंपा था.


एशिया में चीन की विस्तारवादी नीतियों से भारत को सबसे ज्यादा खतरा है. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण लद्दाख में चीनी फौज के जमावड़े से मिल रहा है. इसके अलावा चीन और जापान में भी पूर्वी चीन सागर में स्थित द्वीपों को लेकर तनाव चरम पर है. हाल में ही जापान ने एक चीनी पनडुब्बी को अपने जलक्षेत्र से खदेड़ा था. चीन कई बार ताइवान पर भी खुलेआम सेना के प्रयोग की धमकी दे चुका है. इन दिनों चीनी फाइटर जेट्स ने भी कई बार ताइवान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है.


वहीं चीन का फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया के साथ भी विवाद है.रूस का व्हादिवोस्तोक शहर प्रशांत महासागर में तैनात उसके बेड़े का प्रमुख बेस है. रूस के उत्तर पूर्व में स्थित यह शहर प्रिमोर्स्की क्राय राज्य की राजधानी है. यह शहर चीन और उत्तर कोरिया की सीमा के नजदीक स्थित है. व्यापारिक और ऐतिहासिक रूप से व्लादिवोस्तोक रूस का सबसे अहम शहर है. रूस से होने वाले व्यापार का अधिकांश हिस्सा इसी पोर्ट से होकर जाता है. द्वितीय विश्व युद्ध मे भी यहां जर्मनी और रूस की सेनाओं के बीच भीषण युद्ध लड़ा गया था.