America Nuclear Fusion Reaction: ऊर्जा के क्षेत्र से एक बेहद महत्वपूर्ण खबर सामने आई है. अमेरिका में शोधकर्ताओं ने कथित तौर पर ऊर्जा के असीमित, सुरक्षित और स्वच्छ स्रोत को अनलॉक करने की खोज में एक सफलता हासिल की है. विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि न्यूक्लियर फ्यूजन में सफलता असीम स्वच्छ ऊर्जा ला सकती है और इससे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में मदद मिल सकती है. 


रिपोर्ट्स के मुताबिक, इतिहास में पहली बार अमेरिका के कैलिफोर्निया में लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में नेशनल इग्निशन फैसिलिटी में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्शन को अंजाम दिया है, जिसके परिणामस्वरूप सूर्य की तरह ही बिल्कुल शुद्ध ऊर्जा का उत्पादन किया गया.


1950 में शुरू हुआ न्यूक्लियर फ्यूजन पर शोध


न्यूक्लियर फ्यूजन में भारी तत्व बनाने के लिए हाइड्रोजन जैसे हल्के तत्वों को एक साथ तोड़ना शामिल है. इस प्रक्रिया में ऊर्जा का एक बड़ा विस्फोट होता है. हालांकि, 1950 के दशक में न्यूक्लियर फ्यूजन पर अनुसंधान शुरू होने के बाद से शोधकर्ता एक सकारात्मक ऊर्जा लाभ प्रदर्शित करने में असमर्थ रहे हैं. वहीं, अब लगता है कि शोधकर्ताओं ने ताले की चाबी ढूंढ निकाली है.


रिसर्च की पुष्टि होना बाकी


फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिसकी कैलिफोर्निया में लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में राष्ट्रीय प्रज्वलन सुविधा (NIF) को पुष्टि करनी है, शोधकर्ताओं ने केवल 2.1 एमजे (2.1 MJ) का उपयोग करने के बाद 2.5 एमजे (2.5 MJ) ऊर्जा बनाने में कामयाबी हासिल की है.


'यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है'


साइंस एंड टेक्नोलॉजी फैसिलिटीज काउंसिल (एसटीएफसी) सेंट्रल लेजर फैसिलिटी (सीएलएफ) प्लाज्मा फिजिक्स ग्रुप के डॉ रॉबी स्कॉट, जिन्होंने इस शोध में योगदान दिया, ने परिणामों को एक 'महत्वपूर्ण उपलब्धि' बताया है.


क्या होता है न्यूक्लियर फ्यूजन?


न्यूक्लियर फ्यूजन, जिसे परमाणु संलयन भी कहा जाता है, एक मैन मेड प्रोसेस है. इस प्रक्रिया में सूर्य की तरह ही शक्ति प्रदान करने वाली ऊर्जा का निर्माण किया जाता है. न्यूक्लियर फ्यूजन तब होता है, जब दो या दो से अधिक परमाणु एक बड़े परमाणु से जुड़ जाते हैं और भारी मात्रा में गर्म ऊर्जा का निर्माण होता है. 


न्यूक्लियर फ्यूजन को और अच्छे से समझें


बता दें कि अभी परमाणु रिएक्टरों से जो ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, उसका इस्तेमाल दुनिया में बिजली निर्माण के साथ-साथ अलग-अलग ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए होता है. परेशानी यह होती है कि उसमें न्यूक्लियर कचरे का भी निर्माण होता है, जिसे खत्म करना काफी मुश्किल होता है. वहीं दूसरी ओर, परमाणु संलयन के जरिये मुख्य रूप से ड्यूटेरियम और ट्रिटियम तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है और ये दोनों हाइड्रोजन के समान हैं. आसान भाषा में कहें तो न्यूक्लियर फ्यूजन से किसी तरह का कचरा उत्पन्न नहीं होता है.


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