Nuclear Weapon: इंडिया के न्यूक्लियर वेपन लीक! नेवी के जहाज से हटाई गईं परमाणु मिसाइलें, जानें- योग के फोटो से क्या है कनेक्शन
Nuclear Missile Secrets: हाल के सालों में सैटेलाइट इमेज से ये नतीजा निकाला गया कि भारत अपनी परमाणु शक्ति वाली पनडुब्बियों के लिए ज्यादा दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास कर रहा है.
India Nuclear Weapon Secrets: भारत के न्यूक्लियर वेपन की जानकारी लीक हो चुकी है. इस चीज का खुलासा अमेरिका ने किया है. अमेरिका के परमाणु वैज्ञानिकों का दावा है कि भारत के पास समुद्र में छिपी रहने वाली सबमरीन आधारित परमाणु मिसाइलें हैं. साथ ही भारत ने अपनी पुरानी नौसैनिक परमाणु मिसाइल क्षमता को रिटायर कर दिया है.
यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर योग की तस्वीरों से मिली जानकारी परमाणु रुख में बदलाव का संकेत देती है. भारत पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली परमाणु-युक्त मिसाइलों की क्षमता हासिल करके अपने परमाणु प्रतिरोध के समुद्री चरण के करीब पहुंच रहा है, इसलिए उसने चुपचाप अपनी सबसे पुरानी नौसेना परमाणु-सक्षम मिसाइलों को रिटायर कर दिया है.
दरअसल, भारत ने अभी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली सबमरीन पर बहुत तेजी से काम बढ़ाया है. भारत ने पानी में अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को हासिल करने के लिए अपने दो ऑफशोर पेट्रोल वेसल में धनुष परमाणु मिसाइल को लॉन्च करने की क्षमता से लैस कर दिया था.
अमेरिका को कैसे पता चला?
एफएएस विश्लेषण के निष्कर्ष के मुताबिक, "एक अजीब माध्यम से स्पष्टता आई: अक्टूबर 2022 में सेशेल्स के बंदरगाह दौरे के दौरान भारत के योग से संबंधित इंस्टाग्राम पोस्ट की एक सीरीज दर्शाती है कि नए डेक चिह्नों वाला जहाज वास्तव में आईएनएस सुवर्णा था. इसका मतलब यह है कि दिसंबर 2021 तक, आईएनएस सुवर्णा पर मिसाइल स्टेबलाइजर्स को हटा दिया गया था, जिसका अर्थ है कि जहाज तब से परमाणु-सक्षम धनुष बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च करने में असमर्थ है."
परमाणु मिसाइलों, मिसाइल रक्षा और 'अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा में बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों की भूमिका' की लेखिका पर भारतीय विद्वान देबलीना घोषाल ने यूरेशियन टाइम्स को बताया, "यह तो होना ही था. पृथ्वी का नौसैनिक संस्करण धनुष, एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शनकर्ता था. भारत लंबी दूरी की पनडुब्बी से प्रक्षेपित परमाणु-सक्षम मिसाइलों की ओर बढ़ रहा है. लंबी दूरी का मतलब है कि पनडुब्बियों के दुश्मन के ठिकानों के करीब होने की जरूरत नहीं.”
तस्वीरों से निकाला निष्कर्ष
अमेरिकी वैज्ञानिकों के संघ के विश्लेषण से पता चलता है कि ये दोनों जहाज भारत के चार अन्य सुकन्या कैटगरी के गश्ती जहाजों से अलग थे, जिसे अप्रैल 2018 में ली गई उपग्रह तस्वीरों के जरिए से देखा जा सकता है. उसके बाद से पिछले डेक को एक सर्कल के साथ एक नए क्रॉस पैटर्न के साथ फिर से रंग दिया गया था. संभवतः इसे हेलीपैड के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा.
हाल के सालों में सोशल मीडिया पोस्ट और सैटेलाइट इमेजरी का विश्लेषण करने के बाद ये नतीजा निकाला गया. परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक पनडुब्बी (SSBN) और पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों (SLBM) के बिना, भारत के नौसैनिक परमाणु प्रतिरोध में दो अपतटीय गश्ती जहाज शामिल थे, जो परमाणु-सक्षम धनुष मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए कॉन्फ़िगर किए गए थे.
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