तालिबान के महिला विरोधी फैसले पर फूटा इस्लामिक देशों के संगठन OIC का गुस्सा, कतर और यूएई ने भी सुनाई खरी खोटी
ओआईसी के अलावा कतर ने भी चिंता व्यक्त की है. कतर ने तालिबान को नसीहत देते हुए महिलाओं के अधिकार की सम्मान करने की सलाह दी है.
अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद से ही महिलाओं के खिलाफ लगातार अलोकतांत्रिक नियम लागू किए जा रहे हैं. बीते शनिवार को ही तालिबान ने महिलाओं के एनजीओ में काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. अब तालिबान के इस फैसले पर इस्लामिक देशों के संगठन OIC, कतर और यूएई ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
इसको लेकर ओर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन ने बयान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि इस तरह का फैसलाअफगान महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन है. ओआईसी के महासचिव हिसेन ताहा ने तालिबान को अपने इस फैसले पर फिर विचार करने को कहा है.
ओआईसी के अलावा कतर ने भी चिंता व्यक्त की है. कतर ने तालिबान को नसीहत देते हुए महिलाओं के अधिकार की सम्मान करने की सलाह दी है. कतर के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि महिलाओं को भी काम चुनने और उसे करने का मानवीय अधिकार है.
अगस्त 2021 से अफगानिस्तान में तालिबान 2.0 है. उसके राज में महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं. महिलाओं से उनका मानवाधिकार छीना गया है. आइए देखें वो फैसले जो महिलाओं-लड़कियों के हितों के खिलाफ हैं...
1- अफगानिस्तान की यूनिवर्सिटीज में प्रवेश की अनुमति नहीं
तालिबान की सरकार लड़कियों की उच्च शिक्षा को लेकर हमेशा विरोध करता रहा है. एक बार फिर उसने तुगलकी फरमान सुनाते हुए कहा है कि लड़कियां कॉलेजों में नहीं पढेंगी. उनके लिए यूनिवर्सिटी का दरवाजा बंद कर दिया गया है. तालिबान के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि अगली सूचना तक लड़कियों को अफगानिस्तान की यूनिवर्सिटीज में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.
2-पार्कों में महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध
पढ़ाई के लिए स्कूल और कॉलेज तो छोड़िए, तालिबान ने देश की महिलाओं के पार्कों में जाने पर भी प्रतिबंध लगा रखा है. कोई भी महिला या लड़की पार्क में नहीं जा सकती.काबुल के सभी पार्कों में महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध है. इससे पहले जो नियम थे उसके मुताबिक, महिलाओं को सप्ताह में तीन दिन - रविवार, सोमवार, मंगलवार - और बाकी के बचे चार दिन पुरुषों को पार्क जाने की अनुमति दी गई थी.
3. स्कूली शिक्षा पर भी ताला
यूनिवर्सिटीज में लड़कियों पर बैन ने पढ़ने की इच्छा रखने वाली लड़कियों के उम्मीदों को और तोड़ दिया है. इससे पहले पिछले साल अगस्त में तालिबान के लौटने के बाद से ही अफगानिस्तान की लड़कियों को सेकंडरी स्कूलों से बाहर कर दिया गया है.
इसे बाद काफी किरकिरी होने पर उन्होंने मार्च 2022 में स्कूलों को फिर से खोलने की घोषणा की थी. लेकिन स्कूल खोलने के कुछ ही घंटों बाद तालिबान के सुप्रीम लीडर हैबतुल्ला अखुंजदा का आदेश आ गया और उसपर फिर से ताला लग गया.
4-चेहरा ढ़क कर रखना होगा नहीं तो जेल और सजा
तालिबान की महिला विरोधी मानसिकता को देखना को तो बस उनका ये फैसला पढ़ लीजिए. मई 2022 में अफगानिस्तान में सभी महिलाओं को सार्वजनिक स्थल पर अपना चेहरा ढंकने का आदेश जारी किया था. आदेश के अनुसार यदि महिला का चेहरा सार्वजनिक रूप से दिख जाता है, तो उनके पुरुष "गार्डियन/अभिभावक" पर जुर्माना लगाया जाएगा, फिर जेल होगी.
5-अकेले बाहर जाने तक की मनाही
तालिबान अधिकारियों ने दिसंबर 2021 में एक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा था कि लंबी दूरी (72 KM से ज्यादा) तक यात्रा करने की चाह रखने वाली महिलाओं को तब तक गाड़ी/बस में नहीं बैठाया जाना चाहिए जब तक कि उनके साथ कोई करीबी पुरुष रिश्तेदार न हो.