Omicron ने ‘लॉन्ग कोविड’ को लेकर बढ़ाईं चिंताएं, इलाज खोजने में जुटे वैज्ञानिक
Long Covid Amid Omicron: क्या याददाश्त में कमी और एड़ियों के सफेद पड़ने जैसे लक्षणों के लिए खून के सूक्ष्म थक्के जिम्मेदार हो सकते हैं?
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Long Covid Amid Omicron: कोविड-19 की चपेट में आने के लगभग एक साल बाद भी रेबेका होगान याददाश्त-एकाग्रता में कमी, दर्द और थकान की समस्या से जूझ रही हैं. इससे वह नर्स की नौकरी पर लौटने और घरेलू जिम्मेदारियां संभालने में असमर्थ हो गई हैं. 'लॉन्ग कोविड' ने उन्हें एक मां और पत्नी के रूप में अपनी जिम्मेदारियों के वहन में अवरोध पैदा किया है. न्यूयॉर्क निवासी होगान कहती हैं, "क्या यह स्थाई है? क्या यह 'न्यू नॉर्मल'है? मुझे मेरी पुरानी जिंदगी वापस चाहिए." होगान के पति और तीन बच्चे भी 'लॉन्ग कोविड' से जु़ड़े लक्षणों से जूझ रहे हैं.
कुछ अनुमानों के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण को मात देने वाले एक-तिहाई से अधिक लोगों में ऐसी स्थाई समस्याएं उभरेंगी. अब जबकि सार्स-कोव-2 वायरस का नया स्वरूप ओमिक्रोन दुनियाभर में तेजी से पांव पसार रहा है, तो वैज्ञानिक 'लॉन्ग कोविड' के पीछे की वजहें पता लगाने में जुट गए हैं, ताकि इससे जुड़े मामलों में संभावित जबरदस्त बढ़ोतरी से पहले ही इसका इलाज खोज लिया जाए.
लॉन्ग कोविड' महिलाओं को असमान रूप से क्यों प्रभावित करता है
क्या यह एक 'ऑटोइम्यून डिसॉर्डर' हो सकता है, जिसमें प्रतिरोधक तंत्र गलती से शरीर पर ही हमला करना शुरू कर देता है. यह इस बात को समझने में मदद कर सकता है कि 'लॉन्ग कोविड' महिलाओं को असमान रूप से क्यों प्रभावित करता है, जिनके पुरुषों के मुकाबले 'ऑटोइम्यून डिसॉर्डर' का शिकार होने की आशंका ज्यादा रहती है.
कोविड-19 में शरीर में खून के थक्के जमने की शिकायत सामने आ सकती है
क्या याददाश्त में कमी और एड़ियों के सफेद पड़ने जैसे लक्षणों के लिए खून के सूक्ष्म थक्के जिम्मेदार हो सकते हैं? यह बात सच हो सकती है, क्योंकि कोविड-19 में शरीर में असमान रूप से खून के थक्के जमने की शिकायत सामने आ सकती है. इन परिकल्पनाओं पर जारी अध्ययनों के बीच इस बात के ताजा संकेत मिले हैं कि टीकाकरण 'लॉन्ग कोविड' विकसित होने की आशंकाओं में कमी ला सकता है.
ओमिक्रोन स्वरूप से संक्रमित मरीजों में अमूमन संक्रमण के कई हफ्तों बाद पनपने वाले रहस्यमयी लक्षण उभरेंगे या नहीं, फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगा, लेकिन, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ‘लॉन्ग कोविड की लहर आ सकती है और डॉक्टरों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए.
'लॉन्ग कोविड' के इलाज के लिए समर्पित क्लीनिक भी तैयार किए जा रहे
अमेरिकी संसद से मिली एक अरब डॉलर की मदद के जरिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ 'लॉन्ग कोविड' पर कई शोध का वित्तपोषण कर रहा है. 'लॉन्ग कोविड' के इलाज और उस पर अध्ययन को समर्पित क्लीनिक भी दुनियाभर में तैयार किए जा रहे हैं. ये क्लीनिक स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से संबद्ध हैं.
वायरस के कुछ अंश शुरुआती संक्रमण के बाद भी शरीर में मौजूद रहते हैं
'लॉन्ग कोविड' क्यों होता है? इस सवाल को लेकर कुछ प्रमुख परिकल्पनाओं पर अध्ययन तेज किया जा रहा है. एक परिकल्पना के तहत यह माना जा रहा है कि वायरस के कुछ अंश शुरुआती संक्रमण के बाद भी शरीर में मौजूद रहते हैं, जिससे प्रतिरोधक तंत्र असमान रूप से सक्रिय हो जाता है और 'लॉन्ग कोविड' से जुड़े लक्षण सताने लगते हैं. दूसरी परिकल्पना कहती है कि कोविड-19 शरीर में मौजूद कुछ निष्क्रिय वायरस, मसलन मोनोन्यूक्लियोसिस के लिए जिम्मेदार एप्स्टीन-बार वायरस को दोबारा सक्रिय कर देता है.
कोरोना के गंभीर संक्रमण के बाद 'ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया' होनी लगती है
'जर्नल सेल' में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में दावा किया गया था कि खून में एप्स्टीन-बार वायरस की मौजूदगी 'लॉन्ग कोविड' के चार संभावित कारणों में शामिल है. टाइप-2 डायबिटीज, कोरोना वायरस के आरएनए का स्तर और खून में कुछ एंटीबॉडी की मौजूदगी तीन अन्य कारण हैं. हालांकि, इसकी पुष्टि के लिए और अध्ययन की जरुरत है. तीसरी परिकल्पना में कहा गया है कि कोरोना वायरस के गंभीर संक्रमण के बाद 'ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया' होनी लगती है.
दरअसल, सामान्य प्रतिरोधक क्रिया में वायरल संक्रमण उन एंटीबॉडी को सक्रिय कर देता है, जो शरीर पर हमला करने वाले वायरस के प्रोटीन से लड़ते हैं. हालांकि, कई बार संक्रमण के बाद भी एंटीबॉडी सक्रिय रहते हैं और स्वस्थ्य कोशिकाओं को निशाना बनाने लगते हैं. यह स्थिति ल्युपस और मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों का कारण बनती है.
मुमकिन है कि खून के सूक्ष्म थक्के 'लॉन्ग कोविड' का कारण बनते हैं?
लॉस एंजिलिस स्थित सिडार्स-सिनाई मेडिकल सेंटर की जस्टिना फर्ट-बॉबर और सुजैन चेंग ने अपने अध्ययन में पाया था कि कोविड-19 की जद में आए कुछ लोगों में संक्रमणमुक्त होने के छह महीने बाद तक ऐसे कई एंटीबॉडी का स्तर काफी अधिक बना रहता है. यह भी मुमकिन है कि खून के सूक्ष्म थक्के 'लॉन्ग कोविड' का कारण बनते हैं? कई कोविड मरीजों में खून के असमान थक्के जमाने वाले अणु पाए गए हैं, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बनने के साथ ही हाथ-पैर की नसों में रक्त प्रवाह बाधित कर सकते हैं.
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