International Women's Day: महिलाओं के साथ भेदभाव और हिंसा की खबरें यूं तो दुनिया भर से आती रहती हैं लेकिन अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद यह देश महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक हो गया है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर बुधवार को संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी इस बात को माना. 


संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को कहा कि तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की महिलाओं को उनके बुनियादी अधिकार भी नहीं मिल पा रहे हैं. अफगानिस्तान महिलाओं एवं लड़कियों के लिए दुनिया का सबसे दमनकारी देश बन गया है. यूएन ने इस संबंध में रिपोर्ट जारी किया है. 


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जारी एक बयान में, संयुक्त राष्ट्र मिशन ने कहा कि अफगानिस्तान में नए शासन के बाद से महिला विरोधी कानून लागू हुए हैं. इससे वहां की महिलाएं घरों में कैद रहने को मजबूर हैं. तालिबान ने अगस्त 2021 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद महिलाओं से उनका हक छीनने का काम किया है. गौरतलब है कि दो दशकों के युद्ध के बाद अमेरिका और नाटो सेना अफगानिस्तान से वापस हो गईं और देश पर तालिबान ने फिर से कब्जा कर लिया.  


अपने वादे से मुकर गया तालिबान 


संयुक्त राष्ट्र के बयान के अनुसार,अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान ने उदारवादी रुख अपनाने का वादा किया था, लेकिन उसके बावजूद उसने कठोर नियम लागू किए हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि और अफगानिस्तान में मिशन की प्रमुख रोजा ओटुनबायेवा ने कहा कि अफगान महिलाओं और लड़कियों पर पाबंदियां देख दुःख होता है. मौजूदा समय में तालिबान में महिलाओं को लेकर कई कानून लागू किए गए हैं जिसका विरोध भी देखने को मिला. 


तालिबान ने दी अपनी सफाई 


विश्वविद्यालयों में महिलाओं की शिक्षा पर बैन लगाए जाने के बारे में तालिबान सरकार ने अपनी सफाई में कहा कि पढ़ाए जा रहे कुछ विषय अफगान और इस्लामी मूल्यों के अनुरूप नहीं थे. हालांकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निंदा होने के बावजूद तालिबान ने अपने सख्त रुख से पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया है.


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