नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली जिन्होंने आज ही सदन का विश्वास खो दिया है और पदमुक्त हो चुके हैं उनको दुबारा प्रधानमंत्री बनाने की तैयारी चल रही है. सदन में विश्वास खोने के बाद केपी ओली ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक की. अब तक माओवादी के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार चला रहे ओली को अब नेपाल के संविधान के मुताबिक सिंगल लार्जेस्ट पार्टी के नेता के रूप में प्रधानमंत्री पद पर शपथ ग्रहण कराने की तैयारी है.
नेपाल के संविधान की धारा 76 की उपधारा 2 के मुताबिक गठबन्धन की सरकार बनती है और यह फेल होने के बाद संविधान की धारा 76 की उपधारा 3 के मुताबिक सबसे बड़ी पार्टी के नेता को सरकार बनाने का प्रावधान है. चूंकि ओली के विपक्ष में रहे गठबन्धन के पास भी बहुमत के लिए आवश्यक 136 सांसदों का समर्थन नहीं है, इसलिए राष्ट्रपति अब सरकार बनाने की अगली प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी.
बहुमत के लिए 136 सासदों की जरूरत
इस समय नेपाल की संसद में सबसे बड़ी पार्टी के.पी. ओली नेतृत्व की पार्टी है जिसके पास कुल 120 सांसद हैं, जबकि नेपाली कांग्रेस के पास 61, माओवादी के पास 48 और जनता समाजवादी पार्टी के पास 32 सांसद हैं. कांग्रेस के नेता शेरबहादुर देउवा के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाने का दावा पेश किया है. लेकिन इनके पास सिर्फ 124 सांसद ही पहुंच रहा है, जबकि बहुमत के लिए 136 सांसदों की जरूरत है.
ओली के पक्ष में पड़े सिर्फ 93 वोट
निचले सदन में कुल 232 वोट डाले गए. 93 सांसदों ने ओली के पक्ष में मत किया. वहीं 124 सांसदों ने उनके खिलाफ वोट किया. 15 सांसदों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. प्रतिनिधि सभा के विशेष सत्र में आज ओली ने औपचारिक रूप से विश्वास प्रस्ताव पेश किया और सभी सदस्यों से इसके पक्ष में मतदान करने की अपील की.
गौरतलब है कि नेपाल में राजनीति संकट पिछले साल 20 दिसंबर को तब शुरू हुआ जब राष्ट्रपति भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर संसद को भंग कर 30 अप्रैल और 10 मई को नए सिरे से चुनाव कराने का निर्देश दिया. ओली ने यह अनुशंसा सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में सत्ता को लेकर चल रही खींचतान के बीच की थी.
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