WEF 2020: दावोस में लगेगा दुनिया के शीर्ष नेताओं का जमावड़ा, दीपिका पादुकोण और सद्गुरु भी सम्मेलन में लेंगे भाग
दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) सम्मेलन में पीयूष गोयल समेत कई केंद्रीय मंत्री भाग लेंगे. इसके अलावा अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और सद्गुरु भी भाग ले सकते हैं.
दावोस: दुनिया की अमीर और ताकतवर हस्तियां इस सप्ताह स्विटजरलैंड के रिजॉर्ट शहर दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) सम्मेलन में जुटने वाली हैं. डब्ल्यूईएफ की यह 50वीं वार्षिक बैठक 20 जनवरी से शुरू हो रही है. बैठक पांच दिन चलेगी. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, अफगानिस्तान के अशरफ गनी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस वार्षिक बैठक में हिस्सा लेंगे.
भारत से कुछ केन्द्रीय मंत्रियों, प्रमुख उद्योग पतियों के अलावा फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और सद्गुरु के इस बैठक में भाग लेने की उम्मीद है. डब्ल्यूईएफ की इस सालाना बैठक में भारत से 100 कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के पहुंचने की उम्मीद की जा रही है.
Over 100 Indian CEOs, @PiyushGoyal @deepikapadukone @SadhguruJV to attend @WEF annual meeting @Davos, beginning tomorrow. @realDonaldTrump @ImranKhanPTI also there #PTI_Davos #WEF20
— Press Trust of India (@PTI_News) January 19, 2020
इस बार डब्ल्यूईएफ में जुटे दिग्गज ‘सतत और मिलकर चलने वाली दुनिया’ पर विचार विमर्श करेंगे. दीपिका डब्ल्यूईएफ में मानसिक स्वास्थ्य पर विचार रखेंगी, तो सद्गुरु वार्षिक शिखर बैठक में सुबह के समय चिंतन सत्रों का आयोजन करेंगे. इस बैठक में दुनियाभर से 3,000 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.
विश्व आर्थिक मंच की इस सालाना बैठक का आयोजन 20 से 24 जनवरी 2020 तक होगा. जिनेवा स्थित इस अंतरराष्ट्रीय संगठन ने कहा कि दुनिया के समक्ष मौजूद बड़ी चुनौतियों मसलन आय असमानता और राजनीतिक ध्रुवीकरण की वजह से पैदा हुए सामाजिक भेद से लेकर जलवायु परिवर्तन क संकट से निपटने पर चर्चा होगी.
दावोस घोषणापत्र 2020 में हिस्सेदारी पूंजीवाद को लेकर दृष्टिकोण पेश किया जाएगा. इसमें मौजूदा समय के महत्वपूर्ण मुद्दों मसलन उचित कराधान, भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करने, कार्यकारियों के वेतन और मानवाधिकार सम्मान के बिंदुओं को छुआ जाएगा.
डब्ल्यूईएफ के संस्थापक एवं कार्यकारी चेयरमैन क्लाउस श्वाब ने कहा कि कंपनियों ने अब साझेदारी वाले पूंजीवाद को पूरी तरह स्वीकार कर लिया है. इसका मतलब सिर्फ मुनाफे को अधिकतम करना नहीं बल्कि सरकार और समाज के साथ उनकी क्षमता और संसाधनों का इस्तेमाल कर इस दशक के महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करना भी है. ‘‘वे सक्रिय रूप से जुड़ी और टिकाऊ या सतत दुनिया में सक्रिय योगदान दे रहे हैं.’’