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Oxfam International: कोरोना महामारी के दौरान अमीरी-गरीबी के इस खेल को समझिए, सिस्टम तोड़कर बने अमीर, चौंका देगी ये रिपोर्ट

World Economic Forum: वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की स्विटजरलैंड के दावोस में हर साल अमीर लोगों की एक बैठक का आयोजन होता है. इसी बैठक में पीड़ा से मुनाफाखोरी नाम की एक रिपोर्ट पेश की गई है जो चौंका देती है.

Profiting From Pain: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने पिछले दो साल में न जाने कितनों कि जिंदगियों को तबाह कर दिया होगा और न जाने कितनों के घरों को उजाड़ दिया. लेकिन कुछ अमीर लोगों के लिए ये महामारी एक वरदान साबित हुई. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं. ये बात एक रिपोर्ट में सामने आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कोविड 19 (Covid-19) ने अमीरी-ग़रीबी की खाई को और चौड़ा करने का काम किया है. एक तरफ जहां हर 33 घंटे में 10 लाख से ज़्यादा लोग एक्सट्रीम पॉवर्टी यानी बहुत ज़्यादा ग़रीबी का शिकार हो रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ इसी महामारी के दौर में हर 30 घंटे में एक अरबपति पैदा हुआ है.

ये जानकारी ऑक्सफैम इंटरनेशनल (Oxfam International) की एक रिपोर्ट में सामने आई है. ऑक्सफैम की इस रिपोर्ट का नाम 'प्रॉफिटिंग फ्रॉम पेन' (Profiting From Pain) है. रिपोर्ट को स्विट्जरलैंड (Switzerland) के दावोस (Davos) में रिलीज़ किया गया. ऑक्सफैम एक संस्था है जो समानता के लिए काम करती है. और इस संस्था ने ये रिपोर्ट तब जारी की है जब दावोस में World Economic Forum 2022 की सालाना बैठक के लिए दुनिया के अमीर और ताकतवर लोग इकट्ठा हो रहे हैं.

बताते हैं इस रिपोर्ट में आगे क्या कहा गया है

रिपोर्ट में कहा गया है कि ज़रूरी चीज़ों की कीमतों में आग़ लगी है. ये भी कहा गया है इतनी भयानक हालत कई दशकों बाद देखने को मिल रही है. डेटा देते हुए इस संस्था ने बताया कि फूड और एनर्जी के सेक्टर में जो अरबपति हैं वो अपनी संपत्ति में हर दो दिन में एक बिलियन डॉलर का इज़ाफा कर रहे हैं. आपको बता दें कि वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (World Economic Forum) पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है. कोविड की वजह से इनकी ये मीटिंग दो सालों के गैप के बाद हो रही है. ऑक्सफैम की इस रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान 573 नए अरबपति बने. उनके गणित के हिसाब से इस महामारी के दौरान हर 30 घंटे में एक नया व्यक्ति अरबपति बना. रिपोर्ट में आगे आशंका जताई गई है कि इस साल 26 करोड़ से ज़्यादा लोग भयानक ग़रीबी का शिकार हो सकते हैं. एक आंकड़ा ये भी दिया गया है कि जो अरबपति हैं उनकी संपत्ति में 24 महीनों में जो इज़ाफा हुआ है वो 23 साल के इज़ाफे के बराबर है.

सिस्टम को तोड़कर बने अमीर

एक और चौंकाने वाला आंकड़ा है. ये आंकड़ा साल 2000 में दुनिया की जीडीपी में अरबपतियों का हिस्सा 4.4 पर्सेंट का था. अब ये बढ़कर 13.9 पर्सेंट हो गया है. अब आपका एक सवाल हो सकता है. सवाल ये कि इनकी ये अमीरी किस कीमत पर बढ़ रही है. इस पर एक बयान में ऑक्सफैम का कहना है कि कम पैसों और ख़राब कंडीशन में लोगों को ज़्यादा देर तक कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है. जो बेहद अमीर लोग हैं उन्होंने सिस्टम को अपने हिसाब से तोड़ा मरोड़ा है और अब इसका फायदा उठा रहे हैं. अमीरों के पास जो बेतहाशा दौलत आई है वो प्राइवेटाइज़ेशन और मोनोपोली की वजह से आई है. ये सब ऑक्सफैम का कहना है.

तीन सेक्टर्स ने कमाया सबसे ज्यादा मुनाफा

ऑक्सफैम ने आगे कहा कि इतनी अमीरी तक पहुंचने के लिए अमीरों ने वर्कर्स राइट को भी बेहद कमज़ोर बनवाने का काम किया. और अपने पैसे जो हैं वो टैक्स हेवन्स में छुपाए. ऑक्सफैम की तरफ से ये भी कहा गया है कि ये सब होने में सरकारों का बराबर का योगदान रहा है. रिपोर्ट के एक फैक्ट के मुताबिक एनर्जी, फूड और फार्मास्युटिकल ये वो तीन सेक्टर्स हैं जिन्होंने सबसे ज़्यादा मुनाफा कमाया है. अकेले फूड के सेक्टर में 62 नए अरबपति बने हैं. पहले पैंडेमिक के फूड के सेक्टर में महज़ 8 अरबपति थे. श्रीलंका से सूडान तक भयानक ग़रीबी की वजह से हाहाकार मचा है. लो इनकम वाले 60 फीसदी देशों को डेट ट्रैप यानी कर्ज़ के जाल में फंसने का भयानक ख़तरा बना हुआ है. एक आंकड़ा ये भी दिया गया है कि अमीर देशों की तुलना में ग़रीब देशों के लोगों को खाने पर कम से कम दोगुना ख़र्च करना पड़ता है.

इसके अलावा एक और आंकड़ा सामने आया है जिसमें दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों के पास 40 फीसदी जो सबसे ग़रीब लोग हैं उनसे ज़्यादा संपत्ति है. इसको आसानी से समझें तो दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की अमीरी 3 खरब से ज़्यादा लोगों पर भारी है. रिपोर्ट के मुताबिक अगर बॉटम 50 पर्सेंट यानी नीचे से 50 पर्सेंट लोगों की बात करें तो वो अपनी मेहनत से 112 साल में जितना कमाएंगे. टॉप के वन पर्सेंट यानी सबसे अमीर उतना एक साल में कमा लेते हैं.

फार्मा सेक्टर की बात करें तो इस सेक्टर में 40 नए अरबपति बने. कोविड (Covid) से जहां 20 करोड़ के करीब लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, अर्थव्यवस्थाएं (Economy) बर्बाद हो गईं. ऐसे में दावोस (Davos) में जुट रहे नेताओं को ऑक्सफैम (Oxfam) की तरफ से दो सुझाव दिए गए हैं जिसमें पहला ये कि अमीर लोग प्रॉक्सी की तरह काम करें और लोगों को बर्बाद होने दें और दूसरा अपनी ग्रेट मेजॉरिटी को ऐसी स्थिति से निकालने का काम करें.

ये भी पढ़ें: World Economic Forum ने जारी की ग्लोबल युवा नेताओं की सूची, जानें कौन-कौन है लिस्ट में शामिल?

ये भी पढ़ें: WEF Davos 2022: पीएम मोदी बोले- हम 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' के विचार के साथ आगे बढ़े, Cryptocurrency पर भी दिया बयान

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