अब पैसा भी नहीं देगा US? मिसाइल प्रोग्राम पर लगी रोक तो घबराए PAK एक्सपर्ट, शहबाज से बोले- अब क्या और प्रतिबंधों का इंतेजार...
पाक एक्सपर्ट कमर चीमा ने कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान के मिसाइल प्रोग्राम को अपने लिए खतरा बताया है. उन्होंने कहा कि वैसे पाकिस्तान कभी अमेरिका पर हमले का सोचेगा नहीं क्योंकि उसका टारगेट सिर्फ भारत है.
पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम पर अमेरिका के सेंक्शन को लेकर एक्सपर्ट का मानना है कि उनकी सरकार यूएस इंटरेस्ट का ख्याल नहीं रख रही है. उन्होंने चेतावनी दी है कि आगे हो सकता है कि पाकिस्तान पर और भी सेंक्शन लग जाएं. उन्होंने कहा कि भारत इन बातों का ख्याल रखता है इसलिए अगर उसकी मिसाइल की रेंज यूरोप तक हो तो भी उसको टेस्ट करने से रोका नहीं जाएगा. पाक एक्सपर्ट कमर चीमा का कहना है कि अमेरिका को लगता है कि अगर पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइल की रेंज में इजरायल आता है तो ये उसके लिए भी खतरा है. इन्हीं वजहों से सेंक्शन लगे हैं. उन्होंने शहबाज शरीफ सरकार को सलाह दी है कि उन्हें अमेरिका के इंटरेस्ट पर ध्यान देना चाहिए, वरना ऐसा न हो कि वो और सेंक्शन लगा दे. हमाज, हिज्बुल्लाह और ईरान जो करते हैं उसका असर भी पाकिस्तान पर पड़ता है क्योंकि पकिस्तानियों में एक ओपीनियन बन जाती है और ज्यादातर इजरायल के खिलाफ ही होती हैं.
कमर चीमा ने कहा, 'ऐसी क्या वजह है कि पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम पर रोक लगाई जा रही है, जबकि भारत को इजाजत है कि वह सात हजार किलोमीटर तक भी अपनी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट कर सकता है, लेकिन पाक के मिसाइल प्रोग्राम की रेंज सिर्फ 2800 किलोमीटर यानी भारत के आखिरी हिस्से तक ही है. फिर भी हमारे मिसाइल प्रोग्राम पर आपत्ति है और भारत की मिसाइल यूरोप भी पहुंच जाए तो कोई मसला नहीं है. इसका क्या मतलब है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि व्हाइट हाउस, स्टेट डिपार्टमेंट और पेंटागन में पाकिस्तान के लिए क्या माहौल है.'
पाकिस्तान का टारगेट हमेशा भारत, कमर चीमा ने कहा
उन्होंने कहा कि अमेरिका की ये असेसमेंट है कि अगर पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइल की रेंज में इजरायल आता है तो इससे अमेरिका को खतरा हो सकता है. हालांकि, पाकिस्तान तो कभी अमेरिका पर हमला नहीं कर सकता है, बल्कि पाकिस्तान तो ये कहता है कि दुनिया में भारत के अलावा कोई और मुल्क है ही नहीं, जिसके खिलाफ हम अपने मिसाइल और न्यूक्लियर प्रोग्राम को चला सकते हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका को ये भी लगता है कि पाकिस्तान एक इस्लामिक मुल्क है और न्यूक्लियर पावर होने के नाते क्षमता रखता है कि वह वो सबकुछ कर सके जिसकी वजह से अमेरिका के इंटरेस्ट के खिलाफ हो.
अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के लिए काम करने वाले नेशनल डेवलपमेंट कॉम्पलेक्स, अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड, एफिलिएट्स इंटरनेशनल और रॉक साइड एंटरप्राइज पर सेंक्शंस लगे हैं. अमेरिका कहता है कि या तो ये ऑर्गेनाइजेशंस पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम में इक्विपमेंट सप्लाई करने या मिसाइल एप्लीकेबल आइटम पहुंचाने का काम किया है. इस वजह से हमने इन्हें टारगेट किया है.
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान यूएई और सऊदी अरब की तरफ ज्यादा दौड़ता है और ये जो सिचुएशन पैदा हो रही हैं, उसका ताल्लुक मिडिल ईस्ट से है. उन्होंने कहा कि हमास और हिज्बुल्लाह या ईरान मिडिल ईस्ट में जो करते हैं उसका असर पाकिस्तान पर भी होता है. उन्होंने कहा कि इन सब घटनाओं से पाकिस्तान के अंदर एक पब्लिक ओपिनियन बनती है और वो काफी हद तक इजरायल के खिलाफ जाती है. तो शायद इसलिए इस तरह से डराया और धमकाया जाता है कि अगर ये पब्लिक ओपिनियन बनती है तो हम आपके हवाले से क्या करने की सोच रखते हैं.
अगर वापस ले ली फाइनेंशियल असिस्टेंस, बोले कमर चीमा
कमर चीमा ने सरकार को सुझाव दिया कि इससे समझना चाहिए कुछ और बड़ा भी हो सकता है. अगर आप देखें कि आज अगर मिसाइल प्रोग्रोम पर सेंक्शन है तो कल को किसी और पर भी हो सकता है. अगर डोनाल्ड ट्रंप सरकार में आते ही कहें कि पाकिस्तान हमसे फायदा उठा रहा है. भले ही वो सिर्फ 0.10 अरब डॉलर या 0.20 अरब डॉलर का ही हो, लेकिन अगर अमेरिका इससे भी पीछे हट जाए तो. उन्होंने कहा कि कल को अमेरिका फाइनेंशियल असिस्टेंस देना बंद कर दे या आईएमएफ कर्ज ने दे तो फिर पाकिस्तान के पास क्या बचेगा.
उन्होंने कहा कि अमेरिका के सेंक्शन लगाने के फैसले को पाकिस्तान पक्षपाती मानता है. पाकिस्तान का कहना है कि उसे अपनी संप्रभुता से ज्यादा कुछ जरूरी नहीं है और अगर ये समझा जाता है कि सेंक्शंस के बाद पाकिस्तान बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम छोड़ देगा तो ये मुमकिन नहीं है. पाक एक्सपर्ट कमर चीमा ने कहा कि अमेरिका ने सितंबर में भी सेंक्शन लगाए थे, लेकिन तब भी पाकिस्तान का यही रवैया था. पाकिस्तान अगर आने वाले समय में अमेरिका की तरफ से बड़े कदम नहीं चाहता है तो उसे अमेरिका के इंटरेस्ट को इंगेज करना होगा. जैसे इंडिया ख्याल रखता है.
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