Afghanistan News: पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अफगानिस्तान के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की. उन्होंने कहा कि हमारा अंतिम उद्देश्य शांतिपूर्ण, एकजुट, लोकतांत्रिक, स्थिर और समृद्ध अफगानिस्तान है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के संपर्क में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को रहना चाहिए. साथ ही जोर दिया कि युद्धग्रस्त पड़ोसी देश में राजनीतिक समाधान लाने के प्रयास में पाकिस्तान अपना सहयोग जारी रखेगा. पाक के विदेश मंत्री से अफगानी नेताओं के जिस प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की उसका नेतृत्व पूर्व उपराष्ट्रपति मुहम्मद यूनुस कानूनी कर रहे थे.


इस बैठक के बाद पाक के विदेश मंत्री ने कई ट्वीट किए. उन्होंन कहा, “यह जरूरी है कि हम अफगानिस्तान और उसके क्षेत्र के लाभ के लिए अपने अगले कदमों का बारीकी से समन्वय करें. कुरैशी ने ट्वीट किया, ‘‘पाकिस्तान का रूख स्पष्ट है - हमारा मानना है कि आगे के लिए एकमात्र राह वार्ता से राजनीतिक समाधान निकालना है. हम लगातार गृह युद्ध नहीं देखना चाहते और हम चाहते हैं कि अफगानिस्तान के लोग न केवल बचे रहें बल्कि उन्नति करें.’’


पाक के विदेश मंत्री ने उम्मीद जताई कि अफगानिस्तान के सभी नेता अपने देश के राष्ट्रीय हित में मिलकर काम करेंगे और पाकिस्तान अफगानिस्तान में सकारात्मक एवं सहयोगी की भूमिका निभाता रहेगा. उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान के संपर्क में रहना चाहिए. यह आवश्यक है कि अपने अगले कदम हम समन्वय से उठाएं ताकि अफगानिस्तान और क्षेत्र को फायदा हो.’’


बता दें कि तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा करने और राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ कर जाने के बीच कई वरिष्ठ अफगान नेता अपने देश के भविष्य पर एक बैठक में भाग लेने के लिए रविवार को पाकिस्तान पहुंचे थे. अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान के प्रतिनिधि, राजदूत मुहम्मद सादिक ने ट्वीट किया कि उन्होंने इस्लामाबाद हवाई अड्डे पर अफगान प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया. उन्होंने कहा था, “इस यात्रा के दौरान आपसी हित के मामलों पर चर्चा की जाएगी.” इस समूह में वे लोग शामिल हैं जो 2001 में तालिबान के सत्ता से हटने के बाद विभिन्न सरकारों में रहे हैं.’’


गौरतलब है कि अफगान सरकार के गिर जाने के बाद रविवार को तालिबान के लड़ाकों ने काबुल पर कब्जा जमा लिया और राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए. इससे अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा युद्ध प्रभावित देश में सुधार लाने का दो दशक लंबा प्रयास भी खत्म हो गया.


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