नई दिल्ली: पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सहवान कस्बे में स्थित लाल शाहबाज कलंदर दरगाह के भीतर कल हुए आत्मघती विस्फोट में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई कई लोग घायल हो गए. पाकिस्तान में एक सप्ताह के भीतर यह पांचवां आतंकी हमला हुआ है. मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
दुनियाभर में मशहूर है लाल शाहबाज कलंदर दरगाह
सिंध के सहवान में मौजूद लाल शाहबाज कलंदर दरगाह दुनियाभर में बेहद मश्हूर है, खासतौर पर शिया मुसलमानों के लिए ये इबादतगाह बेहद अहम मानी जाती है, धमाका तब हुआ जब दरगाह में सूफी रस्म 'धमाल' चल रहा था विस्फोट के वक्त दरगाह परिसर के भीतर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे, चश्मदीदों के मुताबिक धमाके के बाद चारों ओर सिर्फ लाशें ही लाशें बिखरी पड़ी थी.
ISIS ने ली पाकिस्तान के सहवान धमाके की जिम्मेदारी
आतंकी संगठन आईसिस ने लाल शाहबाज कलंदर दरगाह पर हुए धमाके ज़िम्मेदारी ली है, पुलिस के मुताबिक फिदायीन हमलावर दरगाह में घुसा, फिर उसने कुछ हैंडग्रेनेड फेंके लेकिन वो फटे नहीं, इसके बाद उसने खुद को उड़ा लिया
धमाके के बाद चारो तरफ मची अफरा तफरी
धमाके के बाद चारोँ तरफ अफरातफरी मच गयी, आस पास मौजूद सभी अस्पतालों में इमरजेंसी घोषित कर दी गयी, यहां से सबसे करीब अस्पताल भी करीब 50 किमी की दूरी पर है, अस्पतालों में घायलों के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं होने से भी मृतकों की संख्या बढ़ गयी. आपको बता दें कि सोमवार को ही पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की विधानसभा के बाहर एक विरोधी रैली में हुए धमाके से 16 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 70 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
'दमामत मस्त कलंदर' वाले संत की दरगाह पर हमला
मशहूर गीत 'दमादम मस्त कलंदर' सूफी कवि अमीर ख़ुसरो ने बाबा लाल शाहबाज़ कलंदर के सम्मान में ही लिखा था. बाबा बुल्ले शाह ने बाद में इस गीत में कुछ बदलाव किए और इसे 'झूलेलाल कलंदर' का रूप दिया. मतलब 'दमादम मस्त कलंदर' के लाल शाहबाज़ कलंदर ही हैं. इस गीत को दुनियाभर के मशहूर गीतरों ने गाया है. नुसरत फतेह अली खान, राहत फतेह अली खान, आबिदा परवीर, ऋचा शर्मा, मीका सिंह और हनी सिंह, रूना लैला शाजिया कौशिक जैसे दिग्गजों ने गया है.
कौन थे लाल शाहबाज़ कलंदर?
माना जाता है लाल शाहबाज़ कलंदर के पुरखे बगदाद से ईरान के मशद आकर बस गए थे और फिर वहां से अफ़ग़ानिस्तान के मरवांद चले गए जहां 'दमादम मस्त कलंदर' वाले बाबा का जन्म हुआ. लाल शहबाज कलंदर फ़ारसी कवि रूमी के समकालीन थे. उन्होंने इस्लामी दुनिया का सफ़र किया और आखिर में पाकिस्तान के सेहवान आकर बस गए. उन्हें यहीं दफनाया भी गया. कहा जाता है कि 12वीं सदी के आखिर में वे सिंध आ गए थे. उन्होंने सेहवान के मदरसे में पढ़ाया और यहीं पर उन्होंने कई किताबें भी लिखीं. एक दूसरी मान्यता के मुताबिक 1275 में उनका निधन हुआ और 1356 में उनकी क़ब्र के पास दरगाह का निर्माण कराया गया. उनकी मौत 98 साल की उम्र में हुई.
बेफिजूल सोच का नतीजा है दरगाह पर हमला: तारेक फतेह
बंटवारा होने से पहले इस दरगाह पर उर्स में दोनों मुल्क के लोग भारी संख्या में आते थे. जिन्होंने हमला किया उनकी सोच तालिबान के देवबंदी की है, यह इस बात का नतीजा है कि कुच लोग कहते हैं कि दरगाह पर जाना हराम है. इसी के चलते कुछ लोगों के दिमाग में जिहाद का यह बेफिजूल तरीका आता है और वो ऐसी घटनाएं कर देते हैं.
ऩवाज शरीफ ने बुलाई आपात बैठक
पक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने देश में सुरक्षा हालात की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की जिसमें यह फैसला लिया गया. एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘बैठक में देश में पनपने वाले आतंकवाद या बाहर से अंजाम दिए जा रहे या प्रश्रय पाने वाले आतंकवाद के खात्मे का तथा देश की शांति एवं सुरक्षा पर खतरा पैदा कर रहे तत्वों को सरकार की ताकत से मिटाने का संकल्प लिया गया.’’ बैठक में आतंकवाद एवं अतिवाद के भौतिक एवं वैचारिक खात्मे के संकल्प को दोहराया गया.