Afghanistan Crisis: दुनिया के सामने फिर बेनकाब हुआ पाकिस्तान, PoK में तालिबान के समर्थन में निकाली गई रैली
Afghanistan Crisis: तालिबान समर्थकों द्वारा सोमवार सुबह एक रैली का आयोजन किया गया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकी संगठन तालिबान के समर्थन में सामने आए.
Afghanistan Crisis: पाकिस्तान एक बार फिर दुनिया भर में आतंकी समूहों का समर्थन नहीं करने के अपने दावों से बेनकाब हो गया है. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में, तालिबान समर्थकों द्वारा सोमवार सुबह एक रैली का आयोजन किया गया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकी संगठन तालिबान के समर्थन में सामने आए. रैली में शामिल लोगों ने हवाई फायरिंग भी की.
काबुल हवाईअड्डे पर गोलीबारी में अफगान सैनिक की मौत
इधर, अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद देश छोड़ने के लिए मची अफरातफरी के बीच काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के एक द्वार के पास सोमवार तड़के गोलीबारी में एक अफगान सैनिक की मौत हो गई. जर्मन अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
हवाईअड्डे पर गोलीबारी के बीच तालिबान ने अपने लड़ाकों को उत्तरी क्षेत्र में भेजा है जहां पर उसे सशस्त्र प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है. तालिबान ने कहा कि उसने तीन जिलों पर फिर से कब्जा कर लिया है जिसे एक दिन पहले उसके विरोधियों ने अपने नियंत्रण में ले लिया था. इसके साथ ही पंजशीर को भी तालिबानी लड़ाकों ने घेर लिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को कहा कि वह लोगों को निकालने के अभियान को 31 अगस्त से आगे बढ़ाने से इनकार नहीं करेंगे. इसी तारीख तक अमेरिकी सैन्य बलों की अफगानिस्तान से पूर्ण वापसी होनी है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अभियान को आगे बढ़ाने के लिए बाइडन से आग्रह करेंगे.
तालिबान की अमेरिकी को धमकी
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने ‘स्काई न्यूज’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि 31 अगस्त ‘रेड लाइन’ है और अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी की समय सीमा बढ़ाना उकसावे का कदम होगा.
काबुल हवाईअड्डे के एक द्वार के पास सोमवार को गोलीबारी हुई जहां एक दिन पहले भगदड़ में सात लोगों की मौत हो गयी थी. किन परिस्थितियों में गोलीबारी हुई यह स्पष्ट नहीं है. जर्मन सेना ने ट्वीट करके बताया कि सोमवार को गोलीबारी में अफगानिस्तान के एक सुरक्षा अधिकारी की मौत हो गई जबकि तीन अन्य घायल हो गए हैं. बाद में जर्मन सेना ने स्पष्ट किया कि वह हवाईअड्डे की सुरक्षा में जुटी ‘‘अफगान सेना के सदस्यों’’ का हवाला दे रही थी.
तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों ने समर्पण कर दिया. तालिबान के कठोर शासन के लौटने के डर से हजारों अफगान नागरिक देश छोड़कर निलकने का प्रयास कर रहे हैं जिससे काबुल हवाई अड्डे पर अफरातफरी मची है. कुछ अफगान सैनिक लोगों को निकालने के अभियान में पश्चिमी देशों के सैनिकों की मदद कर रहे हैं. काबुल हवाईअड्डे पर इस्लामिक स्टेट से संबंधित स्थानीय संगठनों द्वारा हमले का भी खतरा है.
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