इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने भारत के साथ संबंधों को ‘मुश्किल’ बताया और बृहस्पतिवार को कहा कि उसके साथ संबंधों को लेकर भारत की नीतियों में स्पष्टता नहीं है. इतना ही नहीं, पाक ने भारत पर अपनी बात से मुकरने का भी आरोप लगया है. उनका कहना है कि यही वजह है कि द्विपक्षीय मुद्दों को हल करने की गति धीमी होती जा रही है. विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी को सितंबर 2018 को लिखे पत्र में भारत के साथ बातचीत शुरू करने का खाका स्पष्ट कर दिया था. लेकिन वो एक दिन इसके लिए तैयार हुए और अगले दिन मुकर गए.
भारत ने पाकिस्तान को यह स्पष्ट कर दिया है कि सीमा पार से आतंकवाद और वार्ता साथ साथ नहीं चल सकती. उन्होंने भारत पर पाकिस्तान के संबंधी नीतियों में स्पष्टता नहीं होने का भी आरोप लगाया. प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अगर नीतियों में स्पष्टता नहीं है, भ्रम है अथवा धुंधलापन है तो वह भारत की ओर से है, केवल वो ही इस पर रोशनी डाल सकते हैं.’’ उन्होंने कहा कि भारत की नीति तभी उजागर हो गई थी जब एक ओर उसने करतारपुर गलियारे के उद्घाटन के लिए अपने मंत्रियों को भेजा और अगले दिन दावा किया कि यात्रा निजी थी.
आपको बता दें की आज़ादी के बाद से ही भारत ने पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने की तमाम कोशिशें की हैं. हालिया सरकार में तो पीएम मोदी 2015 में जब अफगानिस्तान से लौट रहे थे तो अचनाक से पाकिस्तान के दौरे पर चले गए और तब के पीएम नवाज़ शरीफ से मुलाकात की. लेकिन इसके बाद पठानकोट से लेकर उरी तक आतंकी हमले करवा कर पाकिस्तान ने द्विपक्षीय रिश्तों को तार-तार कर दिया.
इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के सहारे लगातार अस्थिरता बनाए रखने की कोशिश की है. इन तमाम वजहों से भारत ने सार्क सम्मेलन से लेकर तमाम बहुतपक्षीय और द्विपक्षीय स्तर पर अपनी राय साफ कर दी है कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते. लेकिन लंबे समय तक आतंक को पालकर रखने वाले पाकिस्तान के लिए इसका इलाज संभव नज़र नहीं आ रहा. वहीं, भारत से बातचीत किए बिना उसका कारोबार भी नहीं चलने वाला. ऐसे में इस पड़ोसी मुल्क की छटपटाहट समझी जा सकती है.
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