पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कुछ शर्तों के साथ जनरल कमर जावेद बाजवा को सैन्य प्रमुख पद पर छह महीने तक बने रहने की अनुमति दी. शीर्ष अदालत ने जनरल बाजवा के सेवा विस्तार मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया.


अदालत ने कहा कि सैन्य प्रमुख इस पद पर छह महीने बने रहेंगे. छह महीने के अंदर देश की संसद को सेना प्रमुख के सेवा विस्तार और अन्य मुद्दों के सिलसिले में स्पष्ट कानून बनाना होगा. अदालत ने कहा कि सरकार ने आश्वस्त किया है कि वह छह महीने में इस सिलसिले में कानून बनाएगी.


अदालत ने कहा कि वह इस मामले का अंतिम फैसला संसद पर छोड़ रही है. संसद संविधान के नियमों के तहत सेना प्रमुख के सेवाकाल से संबंधित कानून बनाए. अदालत ने कहा कि इस छह महीने तक जनरल बाजवा अपने पद पर बने रहेंगे. इस सिलसिले में सरकार ने जो अधिसूचना जारी की है, वह आज से छह महीने तक प्रभावी होगी. इसके बाद का फैसला संसद के बनाए कानून के अनुसार होगा.


बता दें कि हितों के टकराव या फिर कामकाज में नैतिकता जैसी बातों को किनारे रखते हुए पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा एक ऐसी बैठक में शामिल हुए जो मूल रूप से एक सरकारी बैठक थी और जिसमें खुद उन्हीं के मामले में फैसला लिया जाना था. जनरल बाजवा को सेवा विस्तार देने के मामले में जारी एक नहीं बल्कि दो अधिसूचनाओं में इतनी खामियां थीं कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया. बाजवा के सेवा विस्तार मामले में सरकार के फैसले के रद्द होने की आशंकाएं बढ़ गई थीं और ऐसे में प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक और आपात बैठक बुलाई.


आनन-फानन में बुलाई गई इस बैठक में जनरल के सेवा विस्तार पर तीसरी अधिसूचना पर विचार किया गया और इसे जारी करने पर सहमति बनी. इसमें वरिष्ठ संघीय मंत्री शामिल हुए, पूर्व कानून मंत्री व अदालत में बाजवा का पक्ष रख रहे बैरिस्टर फरोग नसीम, महान्यायवादी अनवर मंसूर खान, प्रधानमंत्री के अटॉर्नी बाबर अवान शामिल हुए और इन सभी के साथ खुद बाजवा शामिल हुए.


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