पाकिस्तान आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने सियासत में सेना के दखल की बात कबूली, जाते-जाते दे गए ये नसीहत
Pakistan Army In Politics: पाकिस्तान की राजनीति में सेना के दखल की बात समय-समय पर सामने आती रहती है और अब सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने इसको स्वीकार भी किया है.
Qamar Javed Bajwa: पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने सियासत में सेना के दखल की बात को स्वीकार किया है. बाजवा इस महीने रिटायर होने वाले हैं. उन्होंने बतौर सेना प्रमुख अपनी आखिरी स्पीच में कहा कि पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान राजनीति में शामिल रहते थे, लेकिन अब सेना ने सियासत में दखल बंद करने का फैसला किया है.
पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, रक्षा और शहीद दिवस समारोह को संबोधित करते हुए सेना प्रमुख बाजवा ने कहा कि दुनिया में शायद ही कभी किसी सेना की आलोचना की जाती हो, लेकिन हमारी सेना को अक्सर आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता है. मुझे लगता है कि इसका कारण राजनीति में सेना की भागीदारी है. इसीलिए फरवरी से सेना ने राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करने का फैसला किया है.
पाकिस्तानी सेना की आलोचना
बाजवा ने कहा कि कई क्षेत्रों ने सेना की आलोचना की और अनुचित भाषा का प्रयोग किया. सेना की आलोचना करने का राजनीतिक दलों और लोगों को अधिकार है, लेकिन भाषा के चयन को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए. बाजवा ने अपनी स्पीच की शुरुआत करते हुए कहा कि सेना प्रमुख के तौर पर उनका ये आखिरी संबोधन है, मैं बहुत जल्द रिटायर हो रहा हूं.
पाकिस्तान में आर्थिक संकट पर बाजवा
डॉन के मुताबिक, बाजवा ने कहा कि सेना ने कैथार्सिस की प्रक्रिया को शुरू किया था और उम्मीद जताई थी कि राजनीतिक दल भी इसका पालन करेंगे और अपने व्यवहार पर विचार करेंगे. अपनी गलतियों से सबक लेना चाहिए, ताकि देश आगे बढ़ सके. बाजवा ने कहा कि देश इन दिनों गंभीर आर्थिक मुद्दों का सामना कर रहा है और कोई भी एक पार्टी देश को इस वित्तीय संकट से बाहर नहीं निकाल सकती.
राजनीतिक स्थिरता जरूरी
जनरल बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिरता बेहद जरूरी है और अब समय आ गया है कि सभी राजनीतिक दल अपने अहंकार को एक तरफ रखकर देश के लिए काम करें. पिछली गलतियों से सीख लेनी चाहिए, आगे बढ़ना चाहिए और पाकिस्तान को इस संकट से बाहर निकालना चाहिए.
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