Inter Services Public Relations: पाकिस्तानी सेना ने सोमवार (26 जून) को कहा कि 9 मई को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन के दौरान सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा नहीं कर पाने पर एक लेफ्टिनेंट-जनरल सहित तीन अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया है.
सेना के आदेश में कहा गया है कि एक लेफ्टिनेंट जनरल सहित 3 अधिकारियों को सेना की नौकरी से निकाल दिया गया है, जबकि 3 मेजर जनरल और 7 ब्रिगेडियर सहित 15 अधिकारियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है.
तीन अधिकारियों को सेना से कोर्ट मार्शल
इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के डीजी मेजर जनरल अहमद शरीफ ने कहा, "9 मई की घटनाओं ने साबित कर दिया है कि जो काम दुश्मन 76 साल में नहीं कर सके, वह कुछ उपद्रवियों और उनके मददगारों ने कर दिखाया." आईएसपीआर के डीजी ने आगे कहा कि एक लेफ्टिनेंट जनरल समेत तीन अधिकारियों को सेना से कोर्ट मार्शल कर दिया गया है.
पीटीआई कार्यकर्ताओं ने किया था हमला
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी (9 मई) के बाद उनकी पार्टी पीटीआई के कार्यकर्ताओं ने लाहौर कोर कमांडर हाउस, मियांवाली एयरबेस और फैसलाबाद में आईएसआई भवन सहित 20 से अधिक सैन्य प्रतिष्ठानों और सरकारी इमारतों में तोड़फोड़ की थी. रावलपिंडी में सेना मुख्यालय (जीएचक्यू) पर भी भीड़ ने हमला किया था.
सुरक्षा-सम्मान बरकरार रखने में नाकाम रहे अधिकारी
सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल अरशद शरीफ ने बताया कि सेना ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के समर्थकों के विरोध-प्रदर्शन के संबंध में दो बार जांच कराई और कार्रवाई की. उन्होंने बताया, "जवाबदेही प्रक्रिया पर विचार-विमर्श करने और कोर्ट की जांच ध्यान में रखते हुए, उन लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई जो सैन्य प्रतिष्ठानों, जिन्ना हाउस और जनरल मुख्यालय की सुरक्षा और सम्मान को बरकरार रखने में नाकाम रहे."
उन्होंने बताया कि जांच मेजर जनरल स्तर के अधिकारियों द्वारा की गई. शरीफ ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "(9 मई की हिंसा में) शामिल सभी लोगों को संविधान और कानून के तहत दंडित किया जाएगा." उन्होंने 9 मई की घटना को "बेहद निराशाजनक, निंदनीय और देश के इतिहास में एक काला अध्याय" बताया. 9 मई की हिंसा पर सरकार और सेना की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया हुई और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है.
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