एक तरफ जहां पाकिस्तान राजनीतिक संकट से गुजर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर उसकी वित्तीय स्थिति भी दिनों दिन खराब होती जा रही है. पाकिस्तान का आर्थिक संकट लगातार गहराता जा रहा है. इन्हीं सब वजहों से इमरान खान सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था. पर इन सबके बीच स्थिति को संभालने के लिए अब पाकिस्तान कर्ज के लिए चीन और यूएई से गुहार लगा रहा है. हालांकि अभी उसे इन देशों से मदद नहीं मिली है.
क्यों पड़ रही जरूरत
दरअसल, पाकिस्तान में बैलेंस ऑफ पेमेंट सिस्टम (बीओपी) संकट बढ़ता जा रहा है. इसे टालने के लिए उसके पास आईएमएफ के कार्य़क्रम का विकल्प है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक संकट की वजह से इसके बहाल होने में अभी देर लग सकती है. अगर पाकिस्तान इसका इंतजार करता है तो वह पूरी तरह आर्थिक संकट में डूब जाएगा. उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार बहुत कम बचा है. ऐसे में वह डॉलर के अंतर को पूरा करने के लिए वैकल्पिक योजना बना रहा है. इसी कड़ी में उसने फिलहाल चीन और यूएई से कर्ज लेने की योजना बनाई है.
अभी क्या है स्थिति
पाकिस्तान के संघीय वित्त सचिव हमीद याकूब ने मीडिया को बताया कि 'हम कोशिश कर रहे हैं कि चीन से लोन जल्द रोलओवर हो जाए. इसके अलावा यूएई और सऊदी अरब से भी बातचीत चल रही है. हम कमर्शियल फंडिंग की भी तलाश करेंगे." उन्होंने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात ने एक महीने पहले कर्ज को रोलओवर कर दिया था, जबकि चीनी रोलओवर प्रोसेस में था. शीर्ष आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि, चीन पिछले हफ्ते 2.5 अरब डॉलर के वाणिज्यिक ऋण का रोलओवर देने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गया था, लेकिन बाद में इसमें वह तेजी नहीं दिखी और अभी तक बीजिंग के अधिकारी इस प्रोसेस को पूरा नहीं कर पाए हैं.
लगातार बढ़ रहा व्यापार घाटा
चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों के दौरान पाकिस्तान का व्यापार घाटा बढ़कर 35.39 अरब डॉलर हो चुका है और अगर विलासिता की वस्तुओं के आयात में पूरी ताकत से कटौती नहीं की गई तो यह 50 अरब डॉलर के आंकड़े को छू जाएगा. पाकिस्तानी अर्थशास्त्री डॉ. अशफाक हसन खान कहते हैं कि, उन्होंने सरकार को $ 10 से $ 15 बिलियन के आयात को कम करने के लिए गैर-आवश्यक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया है.
ये भी पढ़ें
पाकिस्तान: इमरान खान की पत्नी बुशरा की दोस्त 90 हजार डॉलर लेकर भागी विदेश, तस्वीर वायरल