Pakistan: पाकिस्तान में ईशनिंदा पर बवाल, जज ने किया अहमदिया शख्स को बरी तो कोर्ट में घुस गए हजारों कट्टरपंथी
Pakistan News: पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून बेहद ही सख्त है. ईशनिंदा को लेकर पड़ोसी मुल्क के कई शहरों में हिंसा भी हो चुकी है. इस कानून की में जद में ज्यादातर वहां का अल्पसंख्यक समुदाय ही आता है.
Pakistan Blasphemy Case: पाकिस्तान में एक बार फिर से कट्टरपंथियों का 'आतंक' देखने को मिला है. ईशनिंदा के फैसले के विरोध में सैकड़ों की संख्या में कट्टरपंथी सुप्रीम कोर्ट में ही घुसने लगे. पाकिस्तान के चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा ने एक अहमदिया शख्स को ईशनिंदा के आरोपों से बरी कर दिया. इस बात से कट्टरपंथी इतना ज्यादा नाराज हो गए कि उन्होंने चीफ जस्टिस के सिर पर एक करोड़ का इनाम रख दिया. वैसे तो घटना सोमवार की है, लेकिन अब कोर्ट में घुसने के वीडियो सामने आए हैं.
पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, 'आलमी मजलिस तहफ्फुज-ए-नबूवत' कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध कर रही थी. जमात-ए-इस्लामी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUIF) के नेता भी तहफ्फुज-ए-नबूवत के साथ विरोध प्रदर्शन करने सड़कों पर उतर आए. इनकी मांग है कि चीफ जस्टिस फैज ईसा को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए और अदालत अपने फैसले को पलट दे. कोर्ट में घुसने की कोशिश कर रहे लोगों को रोकने के लिए पुलिस को पानी की बौछारों, आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा.
क्या है पाकिस्तान में बवाल की वजह?
पड़ोसी मुल्क की राजधानी इस्लामाबाद में मचे बवाल की वजह के पीछे एक अहमदिया शख्स है, जिसका नाम मुबारक अहमद सानी है. सानी ने 2019 में एक कॉलेज में अहमदिया समुदाय से जुड़ी एक धार्मिक किताब 'एफसीर-ए-सगीर' बांटी. इस किताब में अहमदिया संप्रदाय के संस्थापक के बेटे मिर्जा बशीर अहमद ने कुरान की अपने हिसाब से व्याख्या की है. किताब को काफी ज्यादा विवादित माना जाता है. सानी को चार साल बाद 7 जनवरी, 2023 को किताब बांटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
Radical Islamists attacking #Pakistan #SupremeCourt as part of protest against Chief Justice #Qazi Faez Isa who has been accused of #blasphemy. These were the scenes a few hours back. It threatens to worsen. A reward of Rs 1 cr (Pakistani) has been announced for killing him. pic.twitter.com/gV0wh2D9N7
— Ajay Kaul (@AjayKauljourno) August 19, 2024
यहां गौर करने वाली बात ये है कि मुबारक सानी की गिरफ्तारी कुरान (प्रिंटिंग एंड रिकॉर्डिंग) (संशोधन) एक्ट, 2021 के तहत हुई. सानी ने अदालत में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी और दलील रखी कि जिस कानून के तहत उसे गिरफ्तार कर सजा सुनाई जा रही है, वो उस वक्त मौजूद नहीं था, जब उसने किताबें बांटी. सानी ने कहा कि उस समय पर वह अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए आजाद था. फिर उसे इस साल फरवरी में रिहा कर दिया गया. इस तरह विवाद की शुरुआत हो गई.
कट्टरपंथियों ने कोर्ट के खिलाफ मोर्चा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध की शुरुआत जुलाई से हुई, जब तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) नेइस मुद्दे को उठाया. विवाद गहराता देख सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर सफाई पेश करते हुए कहा कि अहमदिया खुद को मुस्लिम कहने के हकदार नहीं है. वह सिर्फ अपनी मस्जिदों के भीतर ही धर्म का प्रचार-प्रसार कर सकते हैं. मगर कोर्ट के जरिए सुनाया गया फैसला बिल्कुल ठीक है. मुबारक सानी ने जो अपराध किया, उसके लिए 2021 से पहले कोई सजा नहीं थी, इसलिए उसे सजा नहीं दी जा सकती है.
Mubarak Sani - ahmediya muslim of pakistan - was arrested for blasphemy. His crime - distributing pamphlets propagating ahmediya islam.
— Akshat Deora (@tigerAkD) August 19, 2024
supreme court of pak today said non-muslims (like ahemdiya muslims!!) have the right to do so.
Zombies attack pak sc. pic.twitter.com/QKRgK1xal3
सुप्रीम कोर्ट की सफाई से भड़के कट्टरपंथी
वहीं, जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर अपनी सफाई दी तो कट्टरपंथी और भी ज्यादा भड़क गए. उन्होंने कहा कि अहमदिया जब मुस्लिम ही नहीं हैं, तो उन्हें मस्जिद में भी धर्म का प्रचार-प्रसार करने की इजाजत नहीं है. अगर वे ऐसा करते हैं तो सीधे तौर पर कुरान, इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद का अपमान किया जा रहा है. JUIF के नेता मौलाना अब्दुल गफूर हैदरी ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अदालत अपने फैसले की समीक्षा नहीं करता है तो राजधानी में बवाल मचाया जाएगा.
उधर तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के नेता अमीर पीर जहीर-उल-हसन शाह ने चीफ जस्टिस के खिलाफ फतवा जारी किया. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि उनकी हत्या करने वाले को एक करोड़ रुपये इनाम देने का भी ऐलान कर दिया. फिलहाल पुलिस ने टीएलपी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है.
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