पाकिस्तान के कई इलाकों में रविवार 17 मई की रात कई घंटों तक सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म जूम बंद कर दिया गया. माना जा रहा है कि पाकिस्तान में हो रहे जबरन धर्म परिवर्तन, बलूचों पर अत्याचार, बलूचों के गायब होने की घटनाओं और विरोधियों की राज्य प्रायोजित हत्या के खिलाफ ‘साथ फोरम’ ने एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, जिसको रोकने के लिए ये कदम उठाया गया. हालांकि देर रात ये सेवाएं फिर शुरू हो गईं.


कई घंटों तक बंद रही सेवाएं


अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत रहे और पाकिस्तानी सरकार के मुखर विरोधी हुसैनी हक्कानी और स्तंभकार मोहम्मद तकी की ओर से बनाए गए ‘साथ फोरम’ (साउथ एशियन्स अगेंस्ट टेररिज्म एंड फॉर ह्यूमन राइट्स) ने एक वर्चुअल वीडियो कॉन्फ्रेंस रखी थी. रविवार रात को ये कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें कई नामी लोगों ने हिस्सा लिया.


जानकारी के मुताबिक इस कॉन्फ्रेंस में नबी बख्श बलोच, गुल बुखारी, अहमद वकास गोराया, तहा सिद्दीकी और गुलालाई इस्माइल जैसे पत्रकार और विचारक शामिल थे.


बलूचिस्तान पोस्ट अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, देर रात ट्विटर और उसकी वीडियो सर्विस पेरीस्कोप और जूम को कई घंटों के लिए बंद कर दिया गया. इंटरनेट गतिरोध पर नजर रखने वाली ऑब्जर्वेटरी, नेटब्लॉक्स डॉट ओआरजी के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि इस पाकिस्तान के कई इलाकों में इन सेवाओं को रोक दिया गया था, जिन्हें फिर देर रात शुरू किया गया.



रहस्यमय हत्याएं और जबरन धर्म परिवर्तन का मुद्दा


फोरम के संस्थापक मोहम्मद तकी ने ट्वीट कर आशंका जताई कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस फोरम की चर्चा को लोगों तक पहुंचने से रोकने के लिए ये रुकावट पैदा की. इस फोरम में चर्चा के मुख्य मुद्दों में बलूच पत्रकार साजिद हुसैन और पश्तून तहफ्फुज आंदोलन के नेता आरिफ वजीर की रहस्यमय मौत भी थे.



वहीं इसमें हिस्सा लेने वाले फरहान कागजी ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे को उठाया.


कॉन्फ्रेंस का हिस्सा रहे पत्रकार अहमद वकास गोराया ने भी आऱोप लगाया कि पाकिस्तानी जनता तक इस चर्चा को पहुंचने से रोकने के लिए पाकिस्तानी सरकार ने इस तरह का बैन लगाया. उन्होंने साथ ही कहा कि इस पूरी चर्चा को जल्द ही किसी प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जाएगा, ताकि लोग इसे देख सकें.


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