Imran Khan Dominant Electoral Streak: पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने लगभग छह महीने पहले पद से हटाए जाने के बाद भी अपना दबदबा कायम रखा है. उपचुनाव में मुख्य मुकाबला प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के बीच था. रविवार (16 अक्टूबर) को आठ नेशनल असेंबली सीटों पर हुए उपचुनावों में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के 70 वर्षीय नेता ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा और जिसमें से छह सीटों पर जीत हासिल की. 


इमरान खान इससे पहले भी 2018 के आम चुनाव में 5 सीटों से चुनाव लड़ चुके हैं और उन्हें उस समय सभी सीटों पर जीत हासिल हुई थी. वहीं इस बार उपचुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा रहे पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के उम्मीदवारों ने अन्य दो सीटों पर जीत हासिल की. 


इमरान को छोड़नी पड़ेगी पांच सीटें


पाकिस्तानी कानूनों के अनुसार, एक उम्मीदवार कई सीटों पर चुनाव लड़ सकता है. हालांकि, अगर वे एक से अधिक सीटों पर जीत हासिल करता है, तो उन्हें एक को चुनना होगा और बाकी को छोड़ना होगा. पाकिस्तानियों ने रविवार को जिन सीटों के लिए मतदान किया वे अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान खान और पीटीआई के सांसदों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देने के बाद से खाली हो गई थी. तब इमरान खान ने अमेरिका की ओर इशारा करते हुए आरोप लगया कि वह एक विदेशी साजिश का शिकार हुए हैं. हालांकि, अमेरिका ने इमरान के इन आरोपों का खंडन किया था. इमरान खाने के नेतृत्व वाली पीटीआई ने इससे पहले जुलाई में पंजाब में प्रांतीय उपचुनावों में जीत हासिल की थी. इमरान की पार्टी को चुनाव में 20 में से 15 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. 


पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी रविवार को जीती गई किसी भी सीट पर कब्जा नहीं करेगी. दरअसल, पीटीआई ने सैद्धांतिक रूप से संसद का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि ये चुनावी जीत देश भर में उनकी लोकप्रियता को प्रदर्शित करती है. 


बड़ी आर्थिक चुनौतियों और बाढ़ से जूझ रहा देश


पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल ऐसे समय में आई है जब देश बड़ी आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है, जिसमें विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, साथ ही अभूतपूर्व बाढ़ के बाद उससे होने वाला नुकसान भी शामिल है. पाकिस्तान में आई भीषण बाढ़ के कारण 1700 से अधिक लोग मारे गए और लगभग 33 मिलियन लोग प्रभावित हुए हैं. सरकार का अनुमान है कि बाढ़ से होने वाले नुकसान की लागत 30 बिलियन डॉलर से लेकर 40 बिलियन डॉलर के बीच रहने का अनुमान है. 


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