इस्लामाबादः पाकिस्तान ने भारत की मेजबानी में सोमवार को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) वर्चुअल मीटिंग के दौरान आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की. इसके साथ ही उसने नव-नाजीवाद और ‘इस्लामोफोबिया’ के कारण हाल में चरमपंथी और नस्लवादी घटनाओं में बढ़ोतरी को लेकर आगाह किया.


विदेश कार्यालय की ओर जारी एक बयान के अनुसार एससीओ देशों के शासनाध्यक्षों की परिषद की 19 वीं बैठक में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व विदेश मामलों के लिए संसदीय सचिव अंदलीब अब्बास ने किया. उन्होंने "विवादित क्षेत्रों" में आतंकवाद की निंदा करते हुए सुरक्षित पड़ोस बनाने की अनिवार्यता को रेखांकित किया.


क्षेत्र में आतंकवाद प्रमुख चुनौती


इससे पहले अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि क्षेत्र के सामने सबसे प्रमुख चुनौती आतंकवाद है, खासकर सीमा पार से आतंकवाद.


अब्बास ने अपने संबोधन में क्षेत्रीय शांति और स्थिरता हासिल करने, बहुआयामी संपर्क के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ घनिष्ठ संबंधों के विकास के लिए पाकिस्तान की खातिर आठ सदस्यीय संगठन के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए सहयोग, जानकारी और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान की आवश्यकता पर भी जोर दिया.


गरीबी उन्मूलन पर विशेष कार्य समूह के गठन का प्रस्ताव


अब्बास ने कहा, "पाकिस्तान एससीओ क्षेत्र को क्षेत्रीय संपर्क और एकीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखता है.’’ अब्बास ने गरीबी उन्मूलन संबंधी एक विशेष कार्य समूह (एसडब्ल्यूजी) गठित करने की खातिर पाकिस्तान की पहल का समर्थन करने के लिए सदस्य देशों को धन्यवाद दिया. इस कार्य समूह से एससीओ के सदस्यों के बीच अनुभवों और विचारों के आदान-प्रदान का मौका मिलेगा.


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