UN ने माना पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों का बुरा हाल, अदालतें देती हैं अपराधियों का साथ
Pakistan Conversion: रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान की अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों के बद से बदतर हालत हैं क्योंकि यहां उनका धर्म परिवर्तन और जबरन अधेड़ उम्र के पुरुष से शादी कराई जाती है.
Pakistan Minority: पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों की दयनीय स्थिती के बारे में अक्सर खबरें आती रहती हैं. अब संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को लेकर चिंता जताई है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने पाकिस्तान को अल्पसंख्यकों के लिए धार्मिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में उसकी लगातार विफलता का एहसास कराया है. संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान से जबरन धर्म परिवर्तन, बाल विवाह, किशोर लड़कियों के अपहरण और दोगुनी उम्र के पुरुषों से लड़कियों की शादी पर तुरंत रोक लगाने की अपील की है.
'बद से बदतर हालात'
संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान सरकार से लड़कियों के साथ कथित दुर्व्यवहार और अपहरण को रोकने का आग्रह किया है. पाकिस्तान में लड़कियों की तस्करी की जाती है और कभी-कभी दोगुनी उम्र के पुरुषों से उनकी शादी कराई जाती है. मानवाधिकार विशेषज्ञों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) को शिकायतें करते समय कई रिपोर्ट्स दी थीं. इन रिपोर्ट्स में अपहरण, जबरन धर्मातरण और बाल विवाह के मामलों में धार्मिक अधिकारियों की प्रत्यक्ष भागीदारी और सुरक्षाबलों और न्याय प्रणाली की मिलीभगत के स्पष्ट संकेत दिए गए हैं.
घटनाओं पर रोक नहीं लगा पाती सरकार
इसके बावजूद पाकिस्तान ने अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों के साथ हो रही ज्यादती को बैन करने वाले कानूनों को पारित करने का दिखावा किया है. अधिकार विशेषज्ञों ने पाकिस्तान सरकार से अल्पसंख्यकों के साथ लगातार बढ़ते अन्याय को रोकने के लिए ठोस और जमीनी कदम उठाने की अपील की है, लेकिन ऐसी घटनाओं पर रोक नहीं लग पाई है.
विशेषज्ञों ने कहा, "हम सरकार से इन कृत्यों को निष्पक्ष रूप से और घरेलू कानूनों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं के अनुरूप रोकने और पूरी तरह से जांच करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह करते हैं. अपराधियों को पूरी तरह से जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए."
कोर्ट देती हैं अपराधियों का साथ!
इंडिपेंडेंड एक्सपर्ट्स के एक ग्रुप और संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को बनाए रखने पर महत्वपूर्ण ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया. उन्होंने साथ ही पाकिस्तान की कोर्ट्स पर सवालिया निशान लगाया, जिसमें कहा, "पाकिस्तान की कोर्ट्स ने पीड़ितों की उम्र और शादी करने और इस्लाम में परिवर्तित होने की उनकी इच्छा के बारे में गलत तथ्यों को स्वीकार कर अपराधियों का साथ दिया है."
वहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने पीड़ितों के अपहरण का केस दर्ज करने से इनकार कर दिया या उन्हें प्रेम विवाह के रूप में खारिज कर दिया.
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