Kargil war: कारगिल जंग से आज भी नहीं उबर पाया पाकिस्तान, एक्सपर्ट ने बताया पाकिस्तान की सबसे बड़ी भूल
Kargil war: पाकिस्तान के जानकार डॉ इश्तियाक अहमद ने बताया कि कारगिल ऐसी जंग थी, जिससे पाकिस्तान अभी तक उबर नहीं पाया है. पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को मुजाहिद्दीनी बताया था.
Kargil war: भारतीय सेना के साथ ही पूरा भारत हर साल 26 जुलाई को कारिगिल युद्ध में भारत को मिली जीत को विजय दिवस के रूप में मनाता है. यह वही तारीख है जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सैनिकों को खदेड़कर कारगिल की सभी चोटियों पर कब्जा कर लिया था. यह भारत के लिए बहुत बड़ी जीत थी. इस जीत महत्व इसलिए भी और बढ़ जाता है, क्योंकि उस समय तक पाकिस्तान भी परमाणु संपन्न देश हो चुका था. इसके बावजूद भारतीय सेना बगैर किसी दबाव के मजबूती के साथ जंग लड़ी और जीत हासिल की. इस युद्ध को पाकिस्तान के जानकार पाकिस्तान की सबसे बड़ी भूल बताते हैं. उनका मानना है कि इस युद्ध से पाकिस्तान आज भी उभर नहीं पाया है.
पाकिस्तानी पत्रकार आरजू काजमी ने कारगिल युद्ध को लेकर पाकिस्तान के एक्सपर्ट डॉ इश्तियाक अहमद से अपने यूट्यूब चैनल पर बात की है. इस दौरान इश्तियाक ने बताया कि कारगिल ऐसी जंग थी, जिससे पाकिस्तान अभी तक उबर नहीं पाया है. डॉ अहमद ने बताया कि मई 1998 में भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु परीक्षण किया था और आधिकारिक तौर पर दोनों देश परमाणु संपन्न बन गए थे. इसके बाद दोनों देशों के नेताओं ने तय किया था कि अब परमाणु हथियारों से जंग तो हो नहीं सकती है, ऐसे में दोनों देशों को अमन के रास्ते पर आना चाहिए.
पाकिस्तानी जनरल ने सल्यूट करने से किया था मना
इश्तियाक अहमद ने कहा कि अमन के रास्ते पर जाना दोनों देशों के लिए बड़ा कदम था, इसका सबसे अधिक क्रेडिट भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है. लेकिन इसका क्रेडिट नवाज शरीफ को भी जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि साल 1999 में जब भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान आए तो उस समय के पाकिस्तानी सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने सल्यूट करने से मना कर दिया और बाद में तख्तापलट करके देश के शासक बन गए. उसी समय यह साफ हो गया था कि पाकिस्तान की सेना सरकार के कंट्रोल में नहीं है. इसके साथ ही उस समय आईएसआई के इशारे पर जमात-ए-इस्लामी ने वाजपेयी पर पत्थर भी फेंके थे.
सर्दी के महीने में पाकिस्तानियों ने की घुसपैठ
डॉ अहमद ने बताया कि वाजपेयी का पाकिस्तान दौरा काफी कामयाब रहा. दोनों देशों के बीच लाहौर समझौता हुआ और नए रिश्ते की शुरुआत हुई. लेकिन वाजपेयी वापस लौटने के बाद कुछ महीने बाद ही पता चला कि पाकिस्तानी सेना ने कारगिल के कुछ इलाकों में घुसपैठ कर लिया है. सर्दियों के महीने में भारत की सेना कारगिल से वापस लौट आती थी, जिसका फायदा पाकिस्तान की सेना ने उठाया था. इससे यह साफ हो जाता है कि जब भारत के प्रधानमंत्री दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत कर रहे थे, उसी समय पाकिस्तान की सेना कारगिल में भारत के खिलाफ साजिश रच रही थी.
पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को बताया था मुजाहिद्दीनी
इश्तियाक अहमद ने कहा कि पाकिस्तान के जनरलों ने जो किया, इससे पूरी दुनिया में पाकिस्तान एक गैर भरोसेमंद देश बन गया. कोई भी ऐसे देश पर भरोसा नहीं कर सकता था, जो एक तरफ दोस्ती का नाटक कर रहा हो और दूसरी दोस्त के इलाके पर कब्जा कर रहा हो. इस युद्ध के बाद पूरी दुनिया पाकिस्तान एक धूर्त देश साबित हुआ. जंग के मैदान में भारत ने तोप और एयर फोर्स भी उतार दिया, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से इसका कोई जवाब नहीं दिया गया. इससे यह साफ हो गया कि परमाणु बम होने के बावजूद पाकिस्तान सीधे तौर पर मुकाबला करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. इस दौरान पाकिस्तान ने अपनी सेना को मुजाहिद्दीनी बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया, लेकिन इससे साफ हो गया कि पाकिस्तान अपनी सेना का भी सम्मान नहीं करता है.