लाहौर: पाकिस्तान की एक अदालत ने शुक्रवार को उस विवादास्पद वीडियो स्कैंडल को लेकर जवाबदेही अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश को बर्खास्त कर दिया, जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के मामले में दबाव में सात साल की सजा सुनाना कथित रूप से स्वीकार किया है.


मुख्य न्यायाधीश कासिम खान के नेतृत्व में लाहौर हाई कोर्ट के सात सदस्यीय प्रशासनिक निकाय ने इस्लामाबाद जवाबदेही अदालत के न्यायाधीश अरशद मलिक को बर्खास्त करने के निर्णय की घोषणा की. मलिक ने दिसम्बर 2018 में शरीफ को अल अजीजिया स्टील मिल भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराया था और उन पर 2.5 करोड़ अमेरिकी डालर का जुर्माना भी लगाया था.


मरियम नवाज ने मलिक का कथित वीडियो जारी किया था


जुलाई 2019 में शरीफ की पुत्री मरियम नवाज ने मलिक का कथित वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होंने स्वीकार किया था कि पीएमएल-एन नेता को दोषी ठहराने के लिए उन्हें ‘‘ब्लैकमेल किया गया और दबाव डाला गया.’’ मलिक ने इसके लिए परोक्ष तौर पर गुप्तचर एजेंसियों पर उन पर दबाव डालने का इशारा किया था.


न्यायाधीश ने हालांकि बाद में आरोपों से इनकार किया था और कहा था कि उन पर शरीफ को दोषी ठहराने का कोई दबाव नहीं था और उनके कथित स्वीकारोक्ति का मरियम द्वारा संवाददाता सम्मेलन में दिखाया गया वीडियो ‘‘फर्जी है और झूठ पर आधारित है.’’


मलिक की बर्खास्तगी शरीफ की ‘‘बेगुनाही को साबित करती है- पीएमएल-एन


लाहौर हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए पीएमएल-एन अध्यक्ष शहबाज शरीफ और उपाध्यक्ष मरियम ने कहा कि इस्लामाबाद के पूर्व जवाबदेही अदालत के न्यायाधीश मलिक की बर्खास्तगी शरीफ की ‘‘बेगुनाही को साबित करती है.’’ शहबाज ने कहा, ‘‘मियां साहब की सजा अमान्य घोषित होनी चाहिए.’’ शरीफ नवम्बर में तब लंदन रवाना हो गए थे जब लाहौर हाई कोर्ट ने उन्हें इलाज के लिए चार सप्ताह के लिए विदेश जाने की इजाजत दी थी.


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