Pakistan Court: पाकिस्तान की एक अदालत ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कॉलेज स्तर तक की शिक्षा के पाठ्यक्रम में पवित्र कुरान को अनुवाद के साथ शामिल करने का अनुरोध किया गया था. सिंध उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि आस्था एक व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.
कोर्ट ने कहा कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने पर शिक्षा पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है. संविधान का अनुच्छेद 20 नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है और राज्य के लिए व्यक्तियों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना अनिवार्य बनाता है.
हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान ने सत्ता के तीन स्तंभों - न्यायपालिका, विधायिका और प्रशासन की भूमिकाओं के बीच एक संतुलन बनाया है. पाकिस्तान का संविधान किसी व्यक्ति को सरकार के हस्तक्षेप के बिना अपने मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करने की गारंटी देता है, जब तक कि वह कानून नहीं तोड़ता है.
कुरान अनिवार्य हो
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता इम्तियाज अली ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया था कि सिंध प्रांत में पवित्र कुरान की शिक्षा अनिवार्य की जानी चाहिए क्योंकि पाकिस्तान मुस्लिम के लिए बनाया गया हुआ देश है.
वर्त्तमान में वैकल्पिक विषय
फिलहाल प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के छात्रों को इस्लामी स्टडी के वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है. वहीं जो गैर-मुस्लिम छात्र है वो इसकी जगह कोई और विषय को चुन सकते है.
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