Pakistan Crisis: इस आतंकवादी संगठन ने किया जल्द पाकिस्तान पर कब्जा करने का ऐलान, ऑडियो जारी कर बताई वजह
Tehreek-e-Taliban: जुलाई 2020 के बाद से 10 उग्रवादी समूह जो लगातार पाकिस्तान सरकार का विरोध कर रहे थे, वे तहरीक-ए-तालिबान में शामिल हो गए. इनमें अल-कायदा के तीन पाकिस्तानी गुट भी शामिल हैं.
Tehreek-e-Taliban claims to capture Pakistan soon: पाकिस्तान के लिए आतंकवाद कोई नया शब्द नहीं है. दोनों एक-दूसरे से काफी हद तक जुड़े हुए हैं. हालांकि अब पिक्चर काफी हद तक उलट हो चुकी है. पहले जहां पाकिस्तान इन आतंकवादियों को भारत के खिलाफ तैयार करता था और इनसे हमले करवाता था. अब वही आतंकवादी पाकिस्तान के लिए खतरा बनते जा रहे हैं.
हम बात करेंगे एक ऐसे आतंकी संगठन के बारे में, जो आज पाकिस्तान के लिए भस्मासुर बन चुका है. वह पाक में कई हमले करके सैकड़ों लोगों की जान ले चुका है और अब पाकिस्तान पर कब्जा करने की तैयारी कर रहा है.
ऑडियो जारी कर टीटीपी ने किया ये दावा
हम जिस आतंकी संगठन की बात कर रहे हैं, उसका नाम तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) है. इस संगठन ने हाल ही में एक ऑडियो जारी किया है. इस ऑडियो मैसेज में तहरीक-ए-तालिबान के प्रमुख नेता शेख अब्दुल्लाह अखूंजादा अफगानिस्तान के अलावा पाकिस्तान और तुर्की पर भी जल्द कब्जा करने और इन जगहों पर तालिबानी शासन कायम करने की बात कह रहे हैं. आगे अब्दुल्लाह अखूंजादा कह रहे हैं कि पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है, लेकिन यहां संविधान ब्रिटिश लॉ के अनुसार है. वह इस पर कब्जा जमाकर यहां शरिया कानून लागू करना चाहते हैं.
क्या है यह तहरीक-ए-तालिबान
तहरीक-ए-तालिबान (TTP) पाकिस्तान में अपनी ही सरकार के खिलाफ लड़ने वाला सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर टीटीपी के कई हजार लड़ाकें मौजूद हैं, जो पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ 'युद्ध' छेड़े हुए हैं. पाकिस्तानी सैन्य कार्रवाइ अमेरिकी ड्रोन युद्ध और इस इलाके में अन्य गुटों की घुसपैठ ने 2014 से 2018 तक टीटीपी के आतंक को लगभग खत्म कर दिया था लेकिन, फरवरी 2020 में अफगान तालिबान और अमेरिकी सरकार की तरफ से शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद यह उग्रवादी समूह फिर से इस क्षेत्र में एक्टिव हो गया.
तीन संगठनों के विलय के बाद मजबूत हुआ टीटीपी
जुलाई 2020 के बाद से 10 उग्रवादी समूह जो लगातार पाकिस्तान सरकार का विरोध कर रहे थे, वो तहरीक-ए-तालिबान में शामिल हो गए. इनमें अल-कायदा के तीन पाकिस्तानी गुट भी शामिल हैं, जो 2014 में टीटीपी से अलग हो गए थे. इन विलयों के बाद, टीटीपी और मजबूत हुआ और हिंसक भी. यह हिंसक सिलसिला अगस्त 2021 में काबुल में अफगान तालिबान की सरकार बनने के बाद और तेज हो गया. अफगान तालिबान, अल-कायदा और खुरासान प्रांत (ISKP) में इस्लामिक स्टेट के साथ इसकी गहरी ऐतिहासिक जड़ों के कारण TTP एक खतरनाक आतंकी संगठन बन गया है. यह समूह 9/11 के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अल-कायदा की 'जिहादी राजनीति' का नतीजा है.
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