Custodial Torture In Blasphemy Cases: पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के नाम पर पुलिस कस्टडी में मौत का आंकड़ा काफी बढ़ गया है. इस पर अब मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई है. देश में पुलिस हिरासत में मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों से निष्पक्ष सुनवाई करने की अपील की है. मानवाधिकार ने आपराधिक न्याय के सिद्धांतों पर उचित ध्यान देने का आग्रह किया है. हालांकि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कई खामियों की ओर इशारा किया है. 


कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि हिरासत में मौत और अत्याचार (रोकथाम और सजा) विधेयक, 2022 का प्रभावी कार्यान्वयन किया जाए. पाकिस्तानी डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, "वॉयस फॉर जस्टिस" के अध्यक्ष जोसेफ जॉनसन ने कहा कि मौजूदा ईशनिंदा कानून निष्पक्ष सुनवाई और धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी नहीं देते हैं. इस कानून में झूठे साक्ष्यों और झूठी गवाही पेश करने के बावजूद अभियुक्त आरोपों से बरी हो गया है.


ईशनिंदा कानून में बड़ी खामी


उन्होंने कहा कि इसके बावजूद इस कानून में न तो कोई संशोधन किया गया और न ही ईशनिंदा कानूनों के दुरुपयोग तो रोकने के लिए प्रक्रियागत बदलावों के कोई उपाय किए गए. ईशनिंदा कानून में यदि कोई व्यक्ति किसी के खिलाफ ईशनिंदा का आरोप लगाता है, तो वो उसके (जिस व्यक्ति के खिलाफ ईशनिंदा का आरोप) खिलाफ सबूत पेश करने के लिए बाध्य है. कानून में ये शर्त गायब है. उन्होंने डॉन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ईशनिंदा के मुकदमों के दौरान इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है. 


ईशनिंदा कानून का हो रहा दुरुपयोग


पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता आशिकनाज खोखर ने कहा कि पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून अब अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने का साधन बन गया है. डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया पर ईशनिंदा के झूठे आरोप लगाकर धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ईशनिंदा के निर्दोष आरोपी भी सालों तक जेल में रहते है. यहां तक कि ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने भी इसपर चिंता जताई थी. उसने इसका आपराधिकरण करने की सलाह दी थी. 


निर्दोष लोगों को हो रही जेल


कनाडा के थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फार राइट्स एंड सिक्योरिटी के अनुसार, पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपों में बड़ी संख्या में निर्दोष लोग जेल में बंद हैं. यही नहीं इस कानून के तहत निर्दोष लोगों को मौत की सजा भी दी जा रही है. इसके अलावा नेशनल कमीशन फॉर जस्टिस एंड पीस ने पाकिस्तान में 1987 से 2018 तक ईशनिंदा के मामलों का डाटा तैयार किया. इस रिपोर्ट के अनुसान पाकिस्तान में 2018 तक 776 मुस्लिमों, 505 अहमदिया, 229 ईसाइयों और 30 हिंदुओं पर ईशनिंदा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.


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