Pakistan Debt Payment: पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री मिफ़्ताह इस्माइल ने 14 जनवरी को पाकिस्तान के कर्ज़ भुगतान पर वहां के अंग्रेज़ी अखबार डॉन में एक लेख लिखा है. इस लेख की शुरुआत में उन्होंने कहा है, ''पाकिस्तान पर दुनिया का कर्ज़ करीब 100 अरब डॉलर है और इस वित्तीय वर्ष में 21 अरब डॉलर का कर्ज़ चुकाना है. अगले तीन सालों तक करीब 70 अरब डॉलर का कर्ज़ पाकिस्तान को चुकाना है.
10 अरब डॉलर का जुगाड़ हो पाया है
ऐसे में उन्हेंने कहा, "अब से चार सालों तक क्या होगा? हमें 90 अरब डॉलर चुकाना है और 10 अरब डॉलर का जुगाड़ हो पाया है. दुर्भाग्य से हमारे पास कर्ज़ चुकाने के लिए संसाधन नहीं हैं. हम कर्ज़ लेकर दूसरा कर्ज़ चुकाने में लगे हैं.'' दरअसल, पाकिस्तान में चिकन से लेकर दूध तक और आटे से लेकर प्याज तक सभी के दाम आसमान छू रहे हैं. महंगाई की मार ने पड़ोसी देश को चारो तरफ से घेर रही है. बढ़ते कर्ज, घटते विदेशी मुद्रा भंडार, राजनीतिक अस्थिरता और जीडीपी में भारी गिरावट से जूझ रहे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है.
एक बार फिर खस्ताहाली में पहुंचा
मौजूदा वक्त में लगातार बिगड़ते आर्थिक हालातों की वजह से पाकिस्तान एक बार फिर खस्ताहाली में पहुंच चुका है. दिसंबर महीने के पहले हफ्ते में ही स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने खुलासा किया था कि सरकार के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी है. इस वजह से केवल 4 से 5 हफ्ते का ही आयात खर्च निकाला जा सकता है. सरकार के विदेशी मुद्रा भंडार में महज पौने 7 बिलियन डॉलर ही बच गए हैं. यहां के प्राइवेट बैंकों में जमा डॉलर को जोड़ने के बाद भी ये साढ़े 12 बिलियन डॉलर तक ही पहुंच रहे हैं.
ये एक मसला ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा नहीं है. बल्कि देश के अंदर चल रही राजनीतिक उठा-पटक भी इसे नुकसान पहुंचा रही है. यहां ये गौर करने वाली बात है कि दम तोड़ती पाक अर्थव्यवस्था को संभालने में चीन, सऊदी अरब और यूएई लगातार मदद का हाथ बढ़ाते रहे हैं, लेकिन इस तरह के हालातों में देश पाकिस्तान की गाड़ी कहां तक खींच पाएंगे ये खुद में ही एक सवाल है.
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