Pakistan Economic Crisis: इस वक्त पाकिस्तान (Pakistan) नकदी संकट से जूझ रहा है. उसने घरेलू और विदेशी मुद्रा भंडार के अंतर को पाटने की कोशिश में अपने दोस्त चीन (China) और सऊदी अरब से 11 अरब अमेरिकी डॉलर की मदद मांगी है, ताकि देश में निर्वाचित सरकार के गठन तक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का बेलआउट कार्यक्रम पटरी पर रहे. एक मीडिया रिपोर्ट में शुक्रवार (29 सितंबर) को यह जानकारी दी गई है.


PTI की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने कार्यवाहक सरकार के खुदरा, कृषि और रियल एस्टेट क्षेत्रों में कर दायरे को प्रभावी ढंग से विस्तारित करने और अवैध मुद्रा की आवाजाही के खिलाफ कार्रवाई जारी रखने के दबाव के बीच यह मांग की है.


द डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ये जानकारी इस्लामाबाद में गुरुवार (28 सितंबर) को सीनेटर सलीम मांडवीवाला की अध्यक्षता में वित्त और राजस्व पर सीनेट की स्थायी समिति के समक्ष कार्यवाहक वित्त मंत्री शमशाद अख्तर की तरफ से जारी एक विस्तृत नीति बयान का हिस्सा है.


पाकिस्तान अगले महीने करेगा चर्चा
पाकिस्तान के कार्यवाहक वित्त मंत्री शमशाद अख्तर ने कहा कि सरकार मौजूदा समय में एक आर्थिक पुनरुद्धार योजना पर काम कर रही है, जिसे जल्द ही कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकर के सामने पेश किया जाएगा और वित्त पर सीनेट की स्थायी समिति के साथ साझा किया जाएगा.


वित्त मंत्री ने कहा कि कार्यवाहक सरकार के पास व्यापक ढांचागत सुधार करने की सीमित गुंजाइश थी, लेकिन उन्होंने उन सुधारों को पूरा करने का वादा किया, जो 70 करोड़ अमेरिकी डॉलर की लोन पैकेज की वितरण सुनिश्चित करने के लिए IMF के कार्यक्रम का हिस्सा थे. कार्यवाहक वित्त मंत्री शमशाद अख्तर ने बताया कि IMF से इस संबंध में वार्ता अक्टूबर के अंत में शुरू होगी.


पाकिस्तान में चुनाव
पाकिस्तान के कार्यवाहक वित्त मंत्री शमशाद अख्तर ने कहा कि अधिकारी खुदरा, कृषि और रियल एस्टेट को प्रभावी टैक्स दायरे में लाने के लिए कानूनों में संशोधन पर भी काम कर रहे हैं क्योंकि ऐसा किए बिना कोई भी सरकार दोहरे घाटे को नियंत्रित नहीं कर सकती है.


अख्तर ने कहा कि कार्यवाहक सरकार अतिरिक्त 3 ट्रिलियन रुपये हासिल करने के लिए लंबित मामलों को हल करने के लिए अदालतों से समर्थन मांग रही है. वहीं पाकिस्तान चुनाव आयोग (ECP) ने हाल ही में घोषणा की कि वह इस साल की शुरुआत में हुई जनगणना के आंकड़ों को अंतिम रूप देने के बाद जनवरी के आखिरी सप्ताह में चुनाव कराएगा.


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