Pakistan Economic Crisis: पड़ोसी देश पाकिस्तान के आर्थिक हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि पाकिस्तान के पास डिफॉल्ट होने के करीब पहुंच गया है. हालांकि पाकिस्तान में एक तबका ऐसा है जो इस आर्थिक तंगी के लिए सेना के भारी-भरकम बजट को भी जिम्मेदार मान रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि देश के हालात अब भी सुधर सकते हैं.
दरअसल, पाकिस्तान के आर्थिक हालात कैसे सुधरें इसके लिए पिछले दिनों बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वां प्रांत में कुछ सेमिनार हुए थे. इसी कड़ी में अब कुछ सेमिनार पंजाब और सिंध प्रांतों में होने वाले हैं. विशेषज्ञ मान रहे हैं कि शहबाज शरीफ सरकार की अर्थव्यवस्था को सुधारने वाली नीतियां ठीक नहीं हैं, वहीं सरकार बेफिजूली खर्चों पर भी लगाम नहीं लगा पा रही.
अर्थशास्त्र में संतुलन बनाने की जरूरत
विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान को अपनी सैन्य रणनीति और प्रांतीय राजनीति के अलावा अर्थशास्त्र में संतुलन बनाने की जरूरत है. लोगों का मानना है कि देश की सुरक्षा पर बहुत ज्यादा खर्च हो रहा है. अर्थशास्त्र के जानकार कैसर बंगाली मानते हैं कि पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ाने की जगह और जनता पर बोझ डालने से बेहतर है कि सरकार उस खर्च को कम करे जिससे देश का विकास नहीं हो रहा है.
25 से 30 फीसदी तक कम खर्च कर सकते हैं
साथ ही विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि साल 2000 के बाद से रक्षा क्षेत्र में जो खर्च किया जा रहा है उसे 25 से 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है. कैसर बंगाली का मानना है कि कई अरब खर्च करने की क्या जरूरत है जब देश के पास खजाना ही नहीं है. पाकिस्तान में सैन्य सुरक्षा हमेशा से ही महंगी रही है और पिछले कुछ सालों में इसमें लगातार बढ़ोतरी हुई है. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि जनता का इससे कोई लेना देना नहीं है.
ऐसे में देश की स्थिति सुधर सकती है
पाकिस्तान के कई लोग मानते हैं कि अगर आज सत्ताधारी और सेना के बड़े अधिकारी एक ठोस रणनीति बनाएं तो देश की स्थिति में सुधार हो सकता है. पाकिस्तान के नेताओं को ये सोचना होगा कि सिर्फ मित्र देशों पर निर्भर न रहकर विकल्प को लताश कर देश की मदद कर सकते हैं.
बता दें कि आर्थिक हालात को लेकर होने वाले सेमिनार में शामिल होने वाले लोग पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से हैं. इसमें ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के सदस्य हैं. ये नेता प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से नाराज बताए जा रहे हैं और पार्टी को अलविदा कह चुके हैं.
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