Egypt Crisis: मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बार भारत के चीफ गेस्ट होंगे. इससे पहले वे मंगलवार (24 जनवरी) शाम को राजधानी दिल्ली पहुंच गए. इस दौरान एयरपोर्ट पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया. बता दें कि सीसी का ये तीसरा भारतीय दौरा है.
भारत और मिस्र के बीच रिश्ते हमेशा बेहतर रहे हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मिस्र की आर्थिक स्थिति भी बहुत ठीक नहीं है बल्कि यहां भी हाल पाकिस्तान वाला ही है. इन सब के बावजूद भारत हमेशा से मिस्र का सहयोग करता रहा है. व्यापारिक सम्बन्ध भी दोनों देशों के बीच अच्छे रहे हैं. गौर करने वाली बात यह है कि मुस्लिम देश होने के बाद भी मिस्र के भारत से इतने अच्छे रिश्ते हैं. इसके पीछे ख़ास वजह है, 'मिस्र का आतंकवाद के खिलाफ मुखर होकर बोलना. मिस्र हमेशा से ही पाकिस्तानी नीतियों और आतंकवाद की खिलाफत करता रहा है.
हाल ही में जारी पीआईबी की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच व्यापार बढे हैं. 2021-22 में दोनों देशों के बीच व्यापार में इससे पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. मिस्र में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने कहा है कि मौजूदा समय में भारत और मिस्र के बीच जारी द्विपक्षीय व्यापार अपने हाई लेवल पर है. इसके साथ ही उनका ,मानना है कि सिसी का भारत दौरा दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा. इस दौरे से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक नई सुबह की शुरुआत होगी.
कर्ज में डूबा है मिस्र
मिस्र का हाल पाकिस्तान और श्रीलंका की आर्थिक स्थिति से कही ज्यादा अलग नहीं है. मिस्र भी कर्ज में डूबा हुआ है. मिस्र पर विदेशी कर्ज की बात करें तो यह बढ़कर 170 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. हालांकि हमेशा की तरह बुरे हालात में भी भारत अपने मित्र देश मिस्र की मदद कर रहा है. गेहूं और चावल की भारी किल्लत से जूझने वाले मिस्र को इस खाद्यान संकट से निकालने में भारत ने अब तक पूरा सहयोग किया है.
भारत- मिस्र के बीच मजबूत रिश्ते की वजह
मुस्लिम देश होने के बाद भी मिस्र हमेशा आतंकवाद के खिलाफ खड़ा रहता है. इसके साथ ही मिस्र ने जरुरत पड़ने पर हमेशा भारत का साथ दिया है. इसके साथ ही पाकिस्तान का कई मौकों पर विरोध किया है. हाल के दिनों में यह देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है हालांकि भारत के साथ इजरायल और अमेरिका भी मिस्र की मदद में आगे आये हैं. लेकिन संकट की इस घड़ी में मिस्र के साथ सऊदी अरब और यूएई जैसे मुस्लिम देश भी नहीं खड़े हैं.
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