पाकिस्तान को लेकर इस रिपोर्ट ने डराया, दिवालिया होना तय, इस बार IMF भी बचाने के मूड में नहीं
Pakistan Economic Crisis: आईएमएफ ने पाकिस्तान में चल रहे आर्थिक संकट को लेकर बड़ी बात कही है, IMF ने कहा कि पिछली साल की तरह फिर पाकिस्तान एक बार दिवालिया होने की राह पर जा रहा है.
Pakistan Economic Crisis: दाने-दाने के लिए मोहताज पाकिस्तान एक बार फिर दिवालिया होने की राह पर है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को लेकर चेतावनी दी है. आईएमएफ ने शुक्रवार को जारी अपनी रिपोर्ट में बताया कि पाकिस्तान के लिए आर्थिक खतरा असाधारण रूप से उच्च स्तर पर है. यह रिपोर्ट पाकिस्तान के साथ होने वाली संगठन की फाइनल बातचीत से ठीक पहले आई है, ऐसे में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आईएमएफ भी कर्ज देने के मूड में नहीं है.
अंतररराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट में पाकिस्तान सरकार की अस्थिरता को लेकर चिंता जाहिर की गई है. आईएमएफ का एक प्रतिनिधि मंडल इसी महीने पाकिस्तान पहुंचने वाला है, लेकिन अब इस रिपोर्ट ने शहबाज सरकार की चिंताएं बढ़ा दी है. पाकिस्तान को स्टैंडबाय व्यवस्था के तहत लोन देने की अंतिम समीक्षा के बाद आईएमएफ ने कहा कि पाकिस्तान में 'नकारात्मक जोखिम असाधारण रूप से उच्च बने हुए हैं.' IMF ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की सरकार ने स्टैंडबाय व्यवस्था को जारी रखने के इरादे का संकेत दिया है, लेकिन पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता बरकरार है.
लोन देने से हिचकिचा रहा IMF
पाकिस्तान के अखबार डॉन ने बताया कि आईएमएफ को लगता है कि पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता और उच्च लागत आर्थिक नीति पर असर डाल सकते हैं. इसके अलावा रिपोर्ट में पाकिस्तान को कर्ज दिए जाने को लेकर भी हिचिकिचाहट जाहिर की गई है. IMF ने कहा कि कमोडिटी की ऊंची कीमतें और शख्त वैश्विक वित्तीय स्थितियां नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए और भी बुरा शाबित हो सकती हैं.
पिछले महीने मिला था पाकिस्तान को कर्ज
दरअसल, पिछले महीने में पाकिस्तान ने आईएमएफ से 3 अरब डॉलर की बेलआउट पैकेज की आखिरी किश्त हासिल की थी, जिसकी वजह से पाकिस्तान डिफाल्ट होने से बाल-बाल बच गया था. बेलआउट पैकेज की आखिरी किश्त मिलने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने एक बार फिर आईएमएफ से कर्ज की गुहार लगाई है. पाकिस्तान की सरकार आईएमएफ से कम से कम 6 अरब डॉलर के कर्ज की उम्मीद जता रही है. इसके अलावा पाकिस्तान का ध्यान लंबी अवधि के कर्ज पर है.
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