(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Pakistan Inflation: पाकिस्तान में एशिया में सबसे तेजी से बढ़ीं कीमतें, मुद्रास्फीति में इस पड़ोसी देश को भी पीछे छोड़ा, जानें कितनी हुई महंगाई दर
Pakistan News: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में आर्थिक तंगी से आमजन की जिंदगी सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. वहां खाने पीने की चीजों के दाम तेजी से बढ़े हैं. महंगाई ने बरसों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है...
Pakistan Economic Crisis: आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में महंगाई (Pakistan Inflation) दर बढ़ती ही जा रही है. आए रोज पाकिस्तानी मुद्रा (Pakistani Currency) की वैल्यू कम हो रही है और वहां खाने-पीने की चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं.
पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स (Pakistan Bureau of Statistics) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में जारी राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल नागरिकों की जिंदगी को बहुत प्रभावित कर रही है. वहां मासिक मुद्रास्फीति अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. आरिफ हबीब लिमिटेड की ओर से बताया गया कि 1965 के बाद से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक वहां महंगाई दर अब तक की सबसे ज्यादा है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) द्वारा मापी गई अप्रैल में इन्फ्लेशन रेट सालाना आधार पर 36.4% रही. जबकि यह पिछले महीने 35.4% और अप्रैल 2022 में 13.4% दर्ज की गई थी. पाकिस्तान के जियो न्यूज की खबर में बताया गया है कि वहां मुद्रास्फीति में महीने-दर-महीने 2.4% की वृद्धि हुई है.
मुद्रास्फीति में श्रीलंका को भी पीछे छोड़ दिया
पाकिस्तान में मुद्रास्फीति दर में वृद्धि का आलम यह है कि उसने दिवालिया हो चुके श्रीलंका को भी अब पीछे छोड़ दिया है. जहां बीते महीने मुद्रास्फीति 35.3% थी. जबकि पाकिस्तान में यह 36.4% दर्ज की गई है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, पाकिस्तान में एशिया में सबसे तेजी से कीमतें बढ़ी हैं.
विदेशी कर्ज भी बढ़ता जा रहा
पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज भी बढ़कर 100 अरब डॉलर से ज्यादा हो चुका है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2023 के आखिर तक पाकिस्तान का कुल कर्ज (Debt Stock) बढ़कर 55 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये हो गया था. 30 जून 2022 तक यह 47.78 ट्रिलियन रुपये था. वहीं, एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज दिसंबर 2022 में 17.879 ट्रिलियन रुपये से बढ़कर जनवरी 2023 तक 20.686 ट्रिलियन रुपये हो गया. और, वहां की हुकूमत फिर बड़ी रकम चाहती है ताकि अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके. हालांकि उसे किसी देश से बड़ा आर्थिक पैकेज नहीं मिल पा रहा.
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