Bilawal Bhutto: क्या भारत के निमंत्रण पर SCO में भाग लेगा पाकिस्तान? जानें विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी का बयान
Bilawal Bhutto: म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन एक तरह की रक्षा और कूटनीति पर केंद्रित एक प्रमुख वार्षिक ग्लोबल सम्मेलन है. इस दौरान वर्ल्ड लेवल के नेता, टॉप डिपलोमेट सम्मेलन में शामिल हुए हैं.
Bilawal Bhutto In MSC: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी अभी म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (MSC) में शिरकत करने के लिए जर्मनी पहुंचे हुए हैं. म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन की शुरुआत शुक्रवार 17 फरवरी को हुई है, जो रविवार (19 फरवरी) तक चलेगी. इसी दौरान जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने अंग्रेजी चैनल WION से बात की तो भारत में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के मुद्दे पर अपनी राय रखी.
पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि वो इस साल भारत में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भाग लेने की संभावनाओं पर विचार करेंगे. भारत ने पिछले साल 2022 में ही SCO की अध्यक्षता संभाली है और शिखर सम्मेलन के लिए पाकिस्तान और चीन सहित सभी सदस्यों को निमंत्रण भेजा है.
विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो का SCO के लेकर विचार
बिलावल भुट्टो जरदारी ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के इतर शंघाई सहयोग संगठन के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि हमें भारत के तरफ से न्योता मिला है. उन्होंने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) बहुत महत्वपूर्ण है और हमारे नियम बहुत स्पष्ट हैं, हम इस मंच पर द्विपक्षीय मुद्दों और विवादों को नहीं उठाते हैं. दरअसल, अभी भारत के संबंध पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण है, इस वजह से पाकिस्तान की शंघाई सहयोग संगठन (SCO) उपस्थिति के बारे में स्पष्ट नहीं है. इस पर भुट्टो ने कहा कि हमें किस स्तर पर भाग लेना है, इसको लेकर हमारी चर्चा अभी भी चल रही है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दें सबसे ज्यादा चर्चा में रहे
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (MSC) एक तरह की रक्षा और कूटनीति पर केंद्रित एक प्रमुख वार्षिक ग्लोबल सम्मेलन है. इस दौरान वर्ल्ड लेवल के नेता, टॉप डिपलोमेट और प्रमुख गणमान्य व्यक्ति म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में शामिल हुए हैं. इस समिट के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दें सबसे ज्यादा चर्चा में रहे है. हालांकि, इस तरह के सम्मेलन में ग्लोबल लेवल की चिंता के मुद्दों पर डिबेट करता है. वहीं म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (MSC) दो दशकों के इतिहास में पहली बार रूसी ऑफिसर को सम्मेलन में भाग लेने के लिए न्योता नहीं भेजा गया है. इसका मतलब साफ है कि वेर्स्टन देश रूस को डिपलोमेट तरीके से अलग-थलग करने की कोशिश की जा रही है.
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