Pakistan Crisis: सऊदी अरब और यूएई से कर्ज लेने के बाद भी पाकिस्तान की हालत खराब, अब शहबाज के सामने ये एकमात्र रास्ता बचा
Pakistan Inflation: सऊदी अरब (Saudi Arab), संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से कर्ज लेने के बाद भी पाकिस्तान (Pakistan) के ऊपर डिफॉल्ट होने का गंभीर खतरा मंडरा रहा है.
Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान मौजूदा वक्त में गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. देश की अर्थव्यवस्था बदहाल है, महंगाई (Inflation) चरम पर है. पाकिस्तान में रोजाना की इस्तेमाल की चीजें जुटा पाना भी लोगों के लिए काफी मुश्किल है. विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी से जूझ रहा देश कंगाली की कगार पर खड़ा हो गया है. सऊदी अरब (Saudi Arab), यूएई (UAE) से कर्ज लेने के बाद भी हालात सुधरने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं.
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) साल 2014 के निम्न स्तर पर पहुंच गया है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान के पास करीब 3 हफ्तों तक आयात के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है.
पाकिस्तान में चरम पर महंगाई
पाकिस्तान की आर्थिक हालत (Pakistan Economic Crisis) दिनों दिन बदतर होती जा रही है. महंगाई से लोगों का हाल बेहाल है. गेहूं की किल्लत से आटे के दाम आसमान पर हैं. आटा मिलें पर्याप्त संख्या में आटा पैकेट सप्लाई नहीं कर रही है. महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. दूध, मांस से लेकर तेल और खाद्य पदार्थ की कीमतें लोगों की बजट के बाहर हो रही हैं. कई परिवार भूखमरी की कगार पर खड़ा है.
डिफॉल्ट होने का खतरा
पहले से ही कर्ज तले दबे देश की शहबाज सरकार अब दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मदद की गुहार लगा रही है. सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से कर्ज लेने के बाद भी पाकिस्तान के ऊपर डिफॉल्ट होने के काले बादल मंडरा रहे हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान के पास महज तीन हफ्तों तक आयात के लिए भुगतान करने को लेकर विदेशी मुद्रा भंडार बचा है.
पाकिस्तान के सामने क्या है रास्ता?
मंहगाई और आर्थिक संकट से छुटकारा पाने के लिए पाकिस्तान के पास अब एक अंतिम विकल्प ही बचा है और वह है- आईएमएफ से (IMF) से आर्थिक सहायता. पाकिस्तान नए कर्ज को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का दरवाजा खटखटा सकता है. हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि सऊदी अरब और यूएई की तरह आईएमएफ इतनी आसानी से पाकिस्तान को अब कर्ज मुहैया कराने वाला नहीं है. आईएमएफ की जो शर्तें हैं, उन्हें पूरा करना भी शहबाज सरकार के लिए बेहद मुश्किल साबित हो सकती है.
IMF की शर्तें मानने से क्या असर होगा?
पाकिस्तान में पहले से महंगाई चरम पर है. ऐसे में अगर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की शर्तें मानता है तो महंगाई और बढ़ सकती है. इसके अलावा लोगों पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा. महंगाई में और इजाफे और टैक्स में बढ़ोत्तरी होने से पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार को आम लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में शहबाज शरीफ के सामने आईएमएफ की कड़वी गोली को लेकर असमंजस की स्थिति है.
शिपिंग एजेंटों ने दी चेतावनी!
पाकिस्तान में एनर्जी की कीमतों में इजाफा और टैक्स बढ़ाने की मांग वाली आईएमएफ की जनविरोधी शर्तों से हालात और बिगड़ सकते हैं. हालांकि ये भी तय है कि अमेरिका की सहमति के बिना आईएमएफ थोड़ा भी हिलने वाला नहीं है. उधर, पाकिस्तान में नकदी का संकट इतना अधिक गहरा गया है कि शिपिंग एजेंटों ने भी अपनी सेवाएं बंद करने तक की चेतावनी दी है.
पाकिस्तान (Pakistan) शिप एजेंट एसोसिएशन के चेयरमैन अब्दुल रऊफ ने वित्त मंत्री इशाक डार को चिट्ठी लिखते हुए कहा है कि शिपिंग सेवाओं में बाधा अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए खतरा है. अगर ऐसी स्थिति बनती है तो देश के निर्यात ठप होने की पूरी गुंजाइश है. इससे संकट और गहराने की संभावना है.
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