Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान मौजूदा वक्त में गंभीर आर्थिक संकट (Economic Crisis) का सामना कर रहा है. देश का रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 275 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर चला गया है. महंगाई (Inflation) में भारी इजाफे से आम लोगों की परेशानी काफी ज्यादा बढ़ गई है. देश में विदेशी मुद्रा भंडार 1998 के बाद से लगभग 3 बिलियन अमरेकी डॉलर के निम्नतम स्तर पर गिर गया है. 


विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में भारी कमी की वजह से शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) की सरकार अब कई जरूरी चीजों का आयात करने से बच रही है. 


क्यों बर्बाद हुआ पाकिस्तान?


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक वैश्विक रणनीतिक विशेषज्ञों ने कहा है कि इस्लामिक दुनिया में उसके दोस्त अब यह मानते हैं कि उसे अपने घर को व्यवस्थित करना होगा. साथ ही अपने क्षेत्र से संचालित आतंकवादी गुटों का समर्थन करना बंद करना होगा. अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत और हडसन इंस्टीट्यूट में सीनियर फेलो हुसैन हक्कानी ने पीटीआई के हवाले से कहा, "आतंकवाद ने पाकिस्तान में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को रोक दिया है और चीन पर इसकी अवास्तविक निर्भरता के कारण भारी विदेशी कर्ज हो गया है."


पड़ोसियों के साथ खराब संबंध


हुसैन हक्कानी ने आगे कहा कि पाकिस्तान के अपने पड़ोसियों के साथ भी संबंध ठीक नहीं हैं. अफगानिस्तान और भारत के साथ खराब संबंधों की वजह से सीमित व्यापार की संभावनाएं हैं. पाकिस्तान को समृद्ध बनने के लिए संघर्ष की राजनीतिक अर्थव्यवस्था से परे जाने की जरूरत है और यह अभी के लिए बहुत दूर की बात है.


पाकिस्तान में नेतृत्व की गंभीर समस्या


पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल (रिटायर्ड) जे जे सिंह ने भी पाकिस्तान की दुर्दशा का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने पहले ही आत्म-विस्फोट के लिए बटन दबा दिया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में हालात धीरे-धीरे नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं. ये हर किसी के लिए गंभीर चिंता की बात है कि परमाणु हथियार रखने वाले देश ऐसी स्थिति में हैं, जहां नेतृत्व की गंभीर समस्या है.


आतंकवाद को बढ़ावा


पाकिस्तान अक्सर भारत के खिलाफ आतंकियों का इस्तेमाल करता रहा है. अब टीटीपी के आतंकी खुद उसके लिए गले की हड्डी बन चुके हैं. लगातार हमले किए जा रहे हैं और निर्दोष नागरिक के साथ सेना और पुलिस के जवान भी मारे जा रहे हैं. पाकिस्तान में पूर्व भारतीय उच्चायुक्त जी पार्थसारथी ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने से दूर हटना चाहिए और वह वह संकट पर पूर्ण विराम लगाना चाहता है तो रचनात्मक आर्थिक सहयोग पर ध्यान फोकस करना चाहिए.


बता दें कि पाकिस्तान डिफॉल्ट होने से बस अब कुछ ही कदम दूर है. पाकिस्तान के दोस्त चीन, सऊदी अरब समेत की और देश अब मुंह मोड़ने लगे हैं. ऐसे में शहबाज शरीफ की सरकार अब आईएमएफ के सामने कर्ज के लिए गिड़गिड़ा रही है. 


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