Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) बदहाल हो गई है और सरकार का खजाना बिल्कुल खाली है. देश में महंगाई चरम (Pakistan Inflation) पर है और कई परिवारों के सामने भूखमरी की स्थिति है. खाने-पीने से लेकर रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजों को भी खरीदने के लिए लोगों को कई बार सोचना पड़ रहा है. विदेश मुद्रा भंडार की भारी कमी से सरकार और आम जनता के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.
अर्थव्यवस्था को किसी तरह से पटरी पर लाने के लिए पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार (Shehbaz Sharif Govt) कई देशों से आर्थिक मदद की गुहार लगा रही है.
क्यों बदहाल है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के बदहाल होने के पीछे एक बड़ी वजह उसका बढ़ता हुआ कर्ज है. इसके अलावा विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी, राजनीतिक अस्थिरता भी बदहाली के लिए जिम्मेदार कारकों में शामिल हैं. देश के निर्यात में भी भारी कमी आई. इसके अलावा पाकिस्तान की ऊर्जा आयात लागत काफी बढ़ गई है. देश के सभी सरकारी विभागों को बिजली की खपत में 30 फीसदी की कमी लाने के लिए कहा गया था.
बाढ़ से भी हुई बदहाली
पाकिस्तान में 2022 में नकदी का संकट काफी गंभीर हो गया, जो बरकरार है. इस वजह से देश की वित्तीय समस्याएं और बढ़ गईं. इसके अलावा पिछले साल गर्मियों के मौसम में पाकिस्तान में आई बाढ़ ने अर्थव्यवस्था को और बदहाल कर दिया. एक अनुमान के मुताबिक बाढ़ ने लगभग 33 मिलियन लोगों को प्रभावित किया था. बताया जाता है कि पाकिस्तान में भीषण बाढ़ की वजह से 30 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ.
बढ़ता कर्ज और घटता विदेशी मुद्रा भंडार
फिलहाल पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ विश्व बैंक, यूएई, सऊदी अरब समेत कई देशों से भीख मांगते नजर आ रहे हैं. कई देश उन्हें आर्थिक मदद करते हुए तंग आ गए हैं और अब इनकार भी करने लगे हैं. उच्च वैश्विक मुद्रास्फीति के मद्देनजर बढ़ता कर्ज और तेजी से घटता विदेशी मुद्रा भंडार सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. फिलहाल तत्काल बेलआउट पैकेज के बिना पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहतर होने की संभावना नहीं है.
शहबाज शरीफ के सामने क्या विकल्प?
पाकिस्तान (Pakistan) के पीएम शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से उम्मीदें लगाए बैठे हैं. हालांकि बिना शर्त पूरा किए आईएमएफ से आर्थिक मदद नहीं मिलने वाली है. आईएमएफ ने साफ तौर से कह दिया है कि बिना कठिन फैसले लिए वो पाकिस्तान को कर्ज नहीं देगा. दूसरी तरफ पाकिस्तान अगर इन शर्तों को पूरा करेगा तो महंगाई बढ़ेगी और लोगों की नाराजगी का उन्हें सामना करना पड़ेगा.
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