Pakistan Election 2024: आम चुनाव में जीत गए ये प्रत्याशी तो पाकिस्तान का होगा बुरा हाल, आतंकियों की बढ़ जाएगी ताकत
Pakistan Election 2024: पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए मतदान शुरू हो चुका है. कई प्रत्यशियों को आतंकी संगठनों का सर्मथन प्राप्त है. अगर ये जीत जाते हैं तो पाकिस्तान में आतंकियों का दबदबा बढ़ जाएगा.
Pakistan Election 2024: पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए मतदान शुरू हो चुके हैं. मैदान में करीब 150 पार्टियां शिरकत कर रही हैं, जबकि 6,500 उम्मीदवारों की साख दाव पर लगी हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आम चुनाव में करीब 100 प्रत्याशी दागी हैं. यह प्रत्याशी या तो किसी ऐसे कार्यों में संलिप्त रहे हैं जो पाकिस्तान की कानून के खिलाफ हैं. या तो उन्हें किसी आतंकवादी संगठन का सर्मथन प्राप्त है.
दागी प्रत्याशियों का एकमात्र मकसद चुनाव जीतकर अपने संगठनों को मजबूती प्रदान करना है. जिससे वह तालिबान की तर्ज पर पाकिस्तान की सत्ता में एंट्री कर सकें. यही वजह है कि विशेष क्षेत्रों में कई आतंकवादी समूह स्थानीय लोगों को डरा धमकाकर अपने प्रत्याशी को जीत दिलाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं. अगर ये समूह अपने प्रत्याशी को जीत दिलाने में कामयाब रहे तो वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान में भी आतंकियों का कब्जा होगा.
चुवाव में उतरे हाफिज के रिश्तेदार
आम चुनाव में एक नई पार्टी शिरकत कर रही है. इस पार्टी का नाम पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इस पार्टी को 2008 में हुए आतंकवादी हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का समर्थन प्राप्त है.
पार्टी की तरफ से हाफिज सईद का बेटा तल्हा सईद और उसका दामाद हाफिज नेक गुज्जर भी मैदान में है. इसके अलावा सईद के कई रिश्तेदारों और उससे जुड़े आतंकियों को भी टिकट दिया गया है. ऐसे में इन उम्मीदवारों का जीतना पाकिस्तान को आतंक के गर्त में ले जाएगा.
इमरान खान से छीन लगा गया है चुनाव चिन्ह
पिछली बार की विजेता पीटीआई इस बार के चुनाव में बिल्कुल अलग-थलग नजर आ रही है. पार्टी के संस्थापक इमरान खान जेल में हैं. उनकी पत्नी बुशरा बीबी को भी एक तरह से उनके घर में कैदी की तरह रखा गया है. खान की पार्टी से उनका चुनाव चिन्ह बल्ला भी छीन लिया गया है. हाल यह है कि पार्टी के नेता अलग-अलग चुनाव चिन्हों के माध्यम से लड़ने के लिए मजबूर हैं, जो किसी को याद भी नहीं है.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार कोई चमत्कार ही होगा जिससे पीटीआई की सरकार दोबारा सत्ता में आ पाए. पाकिस्तान की मौजूदा फौज भी पीटीआई के खिलाफ चल रही है. यही नहीं वहां की खुफिया एजेंसी और वर्तमान प्रशासन भी उन्हें नहीं पसंद कर रही है.