(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Imran Khan: चुनाव से पहले इमरान खान के लिए कोर्ट से बड़ा झटका, पीटीआई के बैट सिंबल पर नहीं लड़ सकेंगे इलेक्शन
Pakistan Election: इमरान खान की पार्टी पीटीआई से उसका सालों पुराना चुनाव चिन्ह 'बल्ला' छीन लिया गया है. ऐसे में इमरान खान और उनकी पार्टी के प्रत्याशी बैट सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
Pakistan: जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संस्थापक इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं. चुनाव से ठीक पहले इमरान खान की पार्टी पीटीआई से उसका सालों पुराना चुनाव चिन्ह 'बल्ला' छीन लिया है. ऐसे में इमरान खान और उनकी पार्टी के प्रत्याशी बैट सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) ने बुधवार को पाकिस्तान चुनाव आयोग के 22 दिसंबर के आदेश को बहाल कर दिया, जिसमें पीटीआई के चुनाव चिह्न 'बल्ले' को रद्द कर दिया गया था. गौरतलब है कि 22 दिसंबर को पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने 8 फरवरी के आम चुनाव के लिए पीटीआई को अपना चुनाव चिह्न बरकरार रखने की इजाजत नहीं देने का फैसला किया था.
पीटीआई ने खटखटाया था हाई कोर्ट का दरवाजा
मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय ईसीपी पीठ ने कहा था कि पीटीआई अपनी पार्टी के संविधान के अनुसार चुनाव कराने में विफल रही. ऐसे में पार्टी चुनावी चिन्ह के रूप में बल्ला बरकरार नहीं रख सकती. इसके बाद पीटीआई ने पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) का दरवाजा खटखटाया और चुनाव चिह्न जब्त करने के आयोग के फैसले को पेशावर उच्च न्यायालय में चुनौती दी. ऐसे में पेशावर उच्च न्यायालय ने आयोग की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की और दोनों पक्षों को सुनने के बाद बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया.
पीटीआई ने चुनाव आयोग पर उठाया सवाल
इससे पहले इमरान खान की पार्टी ने अपनी सफाई में कहा था कि हमने पार्टी के अंदर चुनाव पार्टी कानून और संविधान के अनुरूप कराए. ईसीपी हमें यह बताए कि पीटीआई ने अंतर-पार्टी चुनावों के दौरान संविधान के किस कानून या धारा का उल्लंघन किया था. पीटीआई ने पाकिस्तान चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए इसे साजिश करार दिया था. बैरिस्टर गौहर ने कहा था कि आप एक बड़ी राजनीतिक पार्टी को उसके चुनाव चिह्न से वंचित कर रहे हैं और उसके सभी उम्मीदवारों को स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में आम चुनावों में जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं.