Pakistan Elections 2024: आर्थिक तंगी और आतंकवाद समेत कई गंभीर मुद्दों से जूझ रहे पाकिस्तान में आम चुनाव होने वाले हैं. हर बार की तरह इस बार भी नवाज शरीफ, इमरान खान और बिलावल भुट्टों जरदारी की पार्टी के बीच मुख्य मुकाबला होने के आसार है. पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए मतदान गुरुवार (8 फरवरी 2024) को होना है.
मौजूदा समय में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान सलाखों के पीछे हैं. वह अपनी पार्टी का वहीं से नेतृत्व कर रहे हैं. नवाज शरीफ के लंदन से पाकिस्तान लौट आने से चुनाव इस बार दिलचस्प होने की उम्मीद है. बता दें कि देश में करीब 4 साल बाद उनकी वापसी हुई है.
वहीं, बिलावल भुट्टो की पार्टी भी पूरी जी जान के साथ मैदान में है. यही नहीं कई अन्य निर्दलीय भी जीत हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. ऐसे में चुनाव से पहले जानते हैं कि पाकिस्तान में कौन सी प्रमुख राजनैतिक पार्टियां एक दूसरे को कड़ी टक्कर देने वाली है और उन पार्टियों का इतिहास क्या है.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (पीएमएल): पूर्व पीएम नवाज शरीफ की अगुवाई वाली पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज 2013 में पूर्ण बहुमत के साथ तीसरी बार सत्ता में आई थी. हालांकि, भ्रष्टाचार के लगे कई आरोपों के बाद उन्हें 2017 में अपने पद से हाथ धोना पड़ा. पिछले साल चुनाव से कुछ दिन पूर्व उन्हें अपनी बेटी मरियम के साथ जेल की सजा हुई थी.
इसके बाद नवाज के छोटे भाई और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ ने दमदार तरीके से वापसी की. उन्होंने 2022 में प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. शहबाज के समर्थक उन्हें 'शहबाज स्पीड' के नाम से जानते हैं. शरीफ करीब 16 महीने पाकिस्तान के पीएम रहे. इस बीच पाकिस्तान में अत्यधिक मुद्रास्फीति देखी गई और इमरान की पार्टी द्वारा उनके कार्यकाल में काफी विरोध प्रदर्शन हुए.
आम चुनाव में पीएमएल फिलहाल सबसे आगे नजर आ रही है. नवाज शरीफ पार्टी के सुप्रीमो हैं. हालांकि यह अबतक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आम चुनाव में पीएमएलएन को पर्याप्त सीटें मिल जाती हैं तो नवाज और शहबाज में कौन नेशनल असेंबली का नेतृत्व करेगा. पीएमएल को 2018 में 64 जबकि 2013 में 126 सीटों पर जीत मिली थी.
पीटीआई सहयोगी: पीटीआई के संस्थापक पूर्व क्रिकेटर इमरान खान हैं. मौजूदा समय में वह जेल में कैद हैं. ऐसी स्थिति में गौहर अली खान पार्टी की अगुवाई कर रहे हैं. पीटीआई को 2018 में जीत मिली थी. जिसके बाद इमरान खान पहली बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे. हालांकि, पाकिस्तानी सेना के उनके खिलाफ होने से पीएम पद से हटना पड़ा.
इमरान खान के ऊपर फिलहाल 150 से अधिक मामले दर्ज हैं. उनके ऊपर भ्रष्टाचार के साथ-साथ कई अन्य बड़े आरोप लगे हैं. फिलहाल वह जेल में 14 की सजा काट रहे हैं. आगामी चुनाव से पहले उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह भी छीन लिया गया है. उनके उम्मीदवार निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ रहे हैं. खान की पार्टी को 2013 में 28 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि 2018 में उन्होंने 116 सीटों पर अपनी जीत का पताका फहराया था.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी): बिलावल भुट्टो जरदारी और उनके पिता आसिफ अली जरदारी की नेतृत्व वाली पीपीपी 2008 के बाद से दोबारा सत्ता में लौटने के लिए प्रयास कर रही है. पीपीपी की स्थापना बिलावल के नाना और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने की थी. इसके बाद उनकी मां बेनजीर भुट्टो 2 बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहीं. बिलावल भुट्टो पाकिस्तान में एक युवा नेता के रूप में विख्यात हैं. उनसे पार्टी को काफी आस है. पीपीपी को 2018 में 43 और 2013 में 34 सीटों पर जीत मिली थी.
अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी): अवामी नेशनल पार्टी एक पश्तून राष्ट्रवादी पार्टी है. यह पार्टी विशेष रूप से खैबर पख्तूनख्वा के उत्तर-पश्चिमी प्रांत में सक्रिय है. एएनपी की अगुवाई आम चुनाव में असफंदयार वली खान कर रहे हैं. एएनपी को 2018 में 1 सीट पर जीत मिली थी. वहीं 2013 में उसने 2 सीटों पर कब्जा जमाया था.
मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी): मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट कराची में करीब 3 दशक तक सबसे शक्तिशाली राजनीतिक पार्टी के रूप में थी. 2018 चुनाव के दौरान इस पार्टी ने अपना समर्थन पीटीआई को दिया था, लेकिन 2022 में उन्होंने अपना रुख बदल लिया.
एमक्यूएम-पी अपने निर्वासित नेता अल्ताफ हुसैन के भड़काऊ भाषण के बाद 2016 में 2 गुटों में विभाजित हो गई थी. यह दोनों गुट लंदन और पाकिस्तान समर्थित गुट थे. हालांकि जब पीडीएम गठबंधन में शामिल होने की बात आई तो यह दोनों गुट आपस में मिल गए. पार्टी को 2013 में 18 जबकि 2018 में 6 सीटों पर जीत मिली थी.
जमात-ए-इस्लामी (जेआई): जमात-ए-इस्लामी सिराज उल हक की नेतृत्व वाली एक दक्षिणपंथी पार्टी है. इस पार्टी धर्म पर केंद्रित है. जेआई पाकिस्तान की सबसे पुरानी और मजबूत संगठनों में से एक मानी जाती है. हालांकि चुनाव के दौरान इसका प्रदर्शन अबतक कुछ खास नहीं रहा है. 2013 में इन्हे 2 और 2018 में 12 सीटों पर सफलता हाथ लगी थी.
जमीयत-ए-उलेमा इस्लाम (जेयूआई-एफ): फजल-उर-रहमान की अगुवाई वाली जमीयत-ए-उलेमा इस्लाम पाकिस्तान में अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रही है. पार्टी के विशेष ध्यान पख्तूनख्वा प्रांत में रहता है. हालांकि पिछली बार पार्टी को यहां पीटीआई खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी को 2013 में 11 जबकि 2018 में 12 सीटों पर जीत मिली थी.
पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (पीकेएमएपी): पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी एक पश्तून राष्ट्रवादी समूह है. यह पार्टी विशेष रूप से बलूचिस्तान प्रांत में सक्रिय है. महमूद खान अचकजई के नेतृत्व में पीकेएमएपी को पाकिस्तान के सबसे गरीब प्रांत में एक प्रगतिशील केंद्र वामपंथी पार्टी के रूप में जाना जाता है.पार्टी को 2013 में 3 सीट मिले थे. 2018 में वह खाता खोलने में नाकामयाब रही थी.
बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी): बलूचिस्तान अवामी पार्टी का गठन 2018 में किया गया था. अंतरिम प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक इसके संस्थापकों में से एक थे. 2018 के चुनावों में बीएपी ने पीटीआई के साथ गठबंधन किया था. 2013 में पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. वहीं 2018 में वह चार सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी.
अवामी वर्कर्स पार्टी (एडब्ल्यूपी): वामपंथी अवामी वर्कर्स पार्टी अन्य पार्टियों की तुलना में काफी छोटी और नई है. हालांकि यह देश में मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था से निराश मतदाताओं को एक विकल्प प्रदान करती है. मौजूदा चुनाव में उसके महज 3 उम्मीदवार मैदान में हैं.
हकूक-ए-खल्क पार्टी: आम चुनाव में हकूक-ए-खल्क पार्टी लाहौर में युवा उम्मीदवारों के साथ मैदान में उतरी है. लाहौर को पीएमएलएन का गढ़ माना जाता है.
इस्तेहकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी (आईपीपी): इस्तेहकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी स्थापना जहांगीर तरीन ने की है. इस पार्टी को इमरान खान की समर्थित पार्टी के रूप में जाना जाता है.
निर्दलीय: पीटीआई के कई उम्मीदवार कानूनी संकटों की वजह से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा कई ऐसे उम्मीदवार भी हैं जो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं.