पाकिस्तान में इमरान की नहीं ‘सेना की सरकार’, अब होगा वही जो सेना चाहेगी
भारतीय खुफिया एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेना और आईएसआई नवाज के खिलाफ थी, क्योंकि नवाज की नीति सेना और आईएसएस के खिलाफ थी. इमरान खान सेना और आईएसआई के अनुरूप ही चलते हैं.
नई दिल्ली: पाकिस्तान में पूर्व क्रिकेटर और नेता इमरान खान पाकिस्तान की सत्ता संभालने वाले हैं. हालांकि प्रधानमंत्री बनने के लिए इमरान खान को गठबंधन का सहारा लेना होगा. 272 में 270 सीटों पर हुए चुनाव में इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी सबसे आगे चल रही है. वहीं दूसरे नंबर पर नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन और तीसरे नंबर पर बिलावल भुट्टों की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी है. कहा जा रहा है कि इस आम चुनाव में पाकिस्तान में वही हुआ है जो सेना चाहती थी. देश में इमरान की सरकार नहीं बल्कि ‘सेना की सरकार’ बनने जा रही है.
रुझानों के मुताबिक, इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ 119, पीएमएल-एन 61, पीपीपी (बिलावल भुट्टो) 40 सीटों पर आगे है. बड़ी बात यह है कि इमरान की आंधी के सामने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) की ओर से शहबाज शरीफ और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के सह-अध्यक्ष बिलावल भुट्टो चुनाव हार गए हैं. बिलावल भुट्टो लयारी से उम्मीदवार थे.
सेना के पोस्टर बॉय हैं इमरान!
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ‘’विदेशी मामलों में पाकिस्तान की नीति वही होगी जो पाकिस्तान की सेना तय करेगी. इमरान खान खुद भी कह चुके हैं कि वह सेना के साथ मिलकर काम करेंगे. पाकिस्तान में इमरान खान के बारे में कहा जाता है कि वह सेना के पोस्टर बॉय हैं. वह वही करते हैं जो सेना उनसे कहती है.’’ इमरान खान के पीएम बनने के बाद सबकी निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि क्या आने वाले समय में सेना की नीति में कोई बदलाव आएगा?
भारत के दुश्मन ISI की पसंद माने जाते हैं इमरान
पाकिस्तान में इमरान खान को सेना का समर्थन हासिल है. इस चुनाव को परोक्ष रूप से सेना की जीत माना जा रहा है. इतना ही नहीं इमरान खान भारत की दुश्मन खुफिया एजेंसी आईएसआई की पसंद माने जाते हैं. आईएसआई भारत में कई आतंकी हमले कराने की साजिश में शामिल रही है.
नवाज के खिलाफ थी सेना और ISI
भारतीय खुफिया एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेना और आईएसआई पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी पार्टी के खिलाफ थी, क्योंकि नवाज की नीति सेना और आईएसएस के खिलाफ थी. इमरान खान सेना और आईएसआई के अनुरूप ही चलते हैं. पाकिस्तानी सेना नहीं चाहती कि कोई स्थिर नागरिक सरकार सत्ता में आए, क्योंकि इससे प्रशासन पर उसका प्रभाव कम होगा. इतना ही नहीं, पहले राजनयिक संबंधों में पाकिस्तान से राहत थी, लेकिन अब भारत के लिए दिक्कत हो सकती है. अब इमरान खान क्या विदेश नीति बनाते हैं, उसी पर भारत और पाकिस्तान के रिश्ते निर्भर करेंगे.
चुनाव में पाकिस्तानी सेना पर लगा गड़बड़ी का आरोप
इस चुनाव में इमरान की नहीं बल्कि सेना की जीत के दावे को इससे भी बल मिलता है क्योंकि विपक्षी दलों ने इमरान को जिताने के लिए पाकिस्तानी सेना पर गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है. इससे पहले मतदान के दौरान भी सेना पर बहुत सारे केंद्रों से पार्टी एजेंटों को बाहर कर देने और मीडिया को भी अंदर प्रवेश नहीं करने देने के आरोप लगे थे. दरअसल चुनाव में पाकिस्तानी फौज को मजिस्टेरियल पॉवर दी गई है. इसके तहत पोलिंग स्टेशन के अंदर और बाहर फौज की तैनाती की गई है.
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