Pakistan Economic Crisis: 'जून के बाद हमें कोई भी नहीं देगा लोन', पाकिस्तान के विशेषज्ञ ने कहा- भारी कर्ज वाले देशों की लिस्ट में हुआ शामिल
Pakistan: इस वक्त पाकिस्तान का घरेलू उधारी लागत 21 फीसदी तक बढ़ चुकी है. इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में एक फीसदी यानी 100 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है.
Pakistan Worst Debt Condition: पाकिस्तान (Pakistan) इस समय भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. पाकिस्तान में दिन-ब-दिन हालत खराब होते जा रहे हैं. देश की करेंसी भी डॉलर के मुकाबले कमजोर होते जा रही है. इस बीच बिजनेस रिकॉर्डर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान अपने बढ़ते बाहरी कर्ज के बीच पूरी दुनिया में उन 15 देशों के लिस्ट में आ गया है, जो भारी कर्ज के दबाव में हैं.
पाकिस्तान के आर्थिक और वित्तीय विश्लेषक अतीक उर रहमान (Ateeq ur Rahman) ने कहा कि देश को जल्द से जल्द ऐसे हालात से निजात पाने की जरूरत है. हालिया रिपोर्ट में कहा गया कि बाहरी देशों से लिए हुए कर्ज के अलावा, देश की सरकार को घरेलू उधारी लागत में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है.
पाकिस्तान का घरेलू उधारी लागत 21 फीसदी तक बढ़ा
इस वक्त पाकिस्तान का घरेलू उधारी लागत 21 फीसदी तक बढ़ चुका है. वहीं इसी महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक ऑफ पाकिस्तान ने ब्याज दरों में एक फीसदी यानी 100 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है. पाकिस्तान के विश्लेषकों को ये भी डर सता रहा है कि उधार लेने की लागत और भी ज्यादा बढ़ जाएगी.
पाकिस्तान के आर्थिक और वित्तीय विश्लेषक अतीक उर रहमान ने जानकारी दी कि फाइनेंशियल ईयर 2024 के लिए पाकिस्तान को लगभग 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत पड़ेगी. इसके उलट पाकिस्तान को अभी 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज ब्याज सहित भुगतान भी करना बाकी है. ये भी एक वजह है कि पाकिस्तान का करंट अकाउंट घट रहा है.
पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलने में कठिनाई
अतीक उर रहमान ने कहा कि इस साल जून के बाद बाहर से आर्थिक मदद मिलने में और भी ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. बिजनेस रिकॉर्डर की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान को कम आय वाले 45 फीसदी देशों में कर्ज के दबाव के हाई रिस्क और बहुत अधिक ब्याज दरों पर कर्ज लेने वाले देश के बीच में रखा जा सकता है.
अतीक उर रहमान ने कहा कि यह एक वास्तविक संकट है. ऐसा लगता है कि देश को बिना किसी समाधान के पैसे से जुड़ी कमी का सामना करना पड़ेगा और ये आगे भी जारी रहेगा.