Pakistan Gas Pipeline Project: गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को एक और बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है. ईरान के साथ गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट को पूरा नहीं करने के लिए पाकिस्तान के ऊपर भारी भरकम जुर्माना लगने का खतरा है. समझौते के तहत निर्धारित समय सीमा में ईरान (Iran) के साथ गैस पाइपलाइन परियोजना (Gas Pipeline Project) को पूरा नहीं करने के लिए पाकिस्तान को 18 अरब डॉलर के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है.
पेट्रोलियम मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान (Pakistan) ने राहत मांगने के लिए ईरान गैस पाइपलाइन परियोजना के बारे में अमेरिका (America) से बात की है.
गैस पाइपलाइन परियोजना को लेकर बैठक
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक, संसद की लोक लेखा समिति (PAC) ने बुधवार (1 मार्च) को नूर आलम खान की अध्यक्षता में बैठक की, जिसमें गैस पाइपलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर विचार विमर्श किया गया. बैठक में ईरान से गैस आयात करने के लिए पाइपलाइन का निर्माण समेत तीन गैस परियोजनाओं को लेकर बातचीत हुई. इसके लिए 4 अरब डॉलर का फंड जमा किया गया था.
क्या बेकार पड़ा हुआ है फंड?
कमेटी के मेंबर सैयद हुसैन तारिक ने कहा कि फंड बेकार पड़ा हुआ है और परियोजनाएं ठप हैं. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर ईरान के साथ गैस पाइपलाइन परियोजना समय पर पूरी नहीं हुई तो पाकिस्तान को जुर्माना भरना पड़ सकता है. पेट्रोलियम मंत्रालय के एक टॉप अफसर ने बैठक में बताया कि पाकिस्तान ने राहत मांगने के लिए ईरान गैस पाइपलाइन परियोजना के बारे में अमेरिका से भी बात की है.
क्या देना पड़ सकता है 18 अरब डॉलर जुर्माना?
रिपोर्ट के मुताबिक PAC के मेंबर सैयद हुसैन तारिक ने बताया कि ईरान से गैस आयात करने पर बैन है और पाकिस्तान इसे नहीं खरीद सकता है. उन्होंने तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) पाइपलाइन परियोजना में सुरक्षा संबंधी चिंताओं का भी जिक्र किया. कमेटी के सदस्यों ने पूछा कि ईरान गैस पाइपलाइन समय पर पूरा नहीं करने पर पाकिस्तान पर कितना जुर्माना लगाया जा सकता है? इस पर पेट्रोलियम सचिव ने जवाब दिया कि समझौते के मुताबिक जुर्माना 18 अरब डॉलर हो सकता है.
पाकिस्तान ने की अमेरिका से बात
कमेटी के सदस्यों ने अमेरिकी राजदूत से कहा है कि या तो उन्हें इस प्रोजेक्ट के साथ आगे बढ़ने की इजाजत दी जाए या पेनाल्टी भरने के लिए उन्हें पैसे दिए जाएं. इसके बाद अध्यक्ष ने विदेश मंत्रालय को अमेरिकी दूत को बुलाने और स्थिति की गंभीरता के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया. गौरतलब है कि ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन परियोजना काफी साल पहले शुरू की गई थी और उस दौरान भारत भी इसका हिस्सा था, लेकिन बाद में अलग-अलग मसलों पर मतभेद होने की वजह से इसे वापस ले लिया गया था.
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