Faisalabad Gurdwara: 'ये हत्यारे हैं...', पाकिस्तान में गुरुद्वारा बनाने पर विरोध, सिखों को दी गई खुलेआम धमकी
Faisalabad Gurdwara: पाकिस्तान के फैसलाबाद में इस समय गुरुद्वारा बनाने को लेकर तनाव चरम पर पहुंच गया है. सरकार से मंजूरी मिलने के बाद भी स्थानीय मुसलमान खुलेआम धमकी दे रहे हैं.
Faisalabad Gurdwara: पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने फैसलाबाद में 76 साल से बंद पड़े गुरुद्वारे को फिर से खोलने की इजाजत दी है, जिसके बाद क्षेत्र के मुसलमान भड़क गए हैं. फैसलाबाद के मुसलमानों ने खुलेआम धमकी दी है कि इस शहर में कभी भी गुरुद्वारा नहीं बनने दिया जाएगा. इस मसले को लेकर फैसलाबाद के एक स्थानीय नेता का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह खुलेआम धमकी देता नजर आ रहा है. अमीन बट नाम के नेता ने सिखों को मुसलमानों का हत्यारा बताया है, साथ ही कहा कि यदि फैसलाबाद में गुरुद्वारा खुला तो उसे तोड़ दिया जाएगा.
अमीन बट ने कहा कि मुझे ईद के तीन दिन बाद पता चला कि फैसलाबाद में गुरुद्वारा खोलने की अनुमति दी गई है, यह मुसलमानों के साथ सरासर ज्यादती है. बट ने कहा कि हमने फैसलाबाद के प्रशासन, प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री से अपील की है कि यहां पर ऐसा कोई काम न करें. हम लोग फैसलाबाद में गुरुद्वारा बनने नहीं देंगे. इस दौरान धमकी देते हुए अमीन बट ने कहा कि अगर प्रशासन ताकत दिखाने की कोशिश करता है, तो जनता उनसे टक्कर लेगी.
बट ने सिखों को बताया बलात्कारी
अमीन बट ने इस दौरान सिखों के खिलाफ जमकर जहर उगला और मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया. सिखों को मुसलमानों का हत्यारा और बलात्कारी बताते हुए बट ने कहा, 'जब पाकिस्तान बना था तब इन सिखों ने हमारी मां, बहनों और मुसलमानों के साथ बहुत ज्यादती की थी.' इसके अलावा बट ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने और उस जगह पर मंदिर बनाने का भी सिखों पर आरोप लगा डाला. बट ने सवाल करते हुए कहा, 'हम आखिर सरकार को गुरद्वारा क्यों बनाने दें? हरगिज नहीं बनाने देंगे, इस गुरुद्वारे को बनाने के लिए हमारी जान के ऊपर से जाना होगा.
फैसलाबाद में महज 200 सिख
दरअसल फैसलाबाद शहर को एक समय लायलपुर के नाम से जाना जाता था, इस शहर में सिखों बड़ी संख्या में सिखों की आबादी रहती थी. मौजूदा समय में इस स्थान पर महज 200 सिख ही रह गए हैं. यह सिख समुदाय लंबे समय से अपने ऐतिहासिक गुरुद्वारे 'गुरु सिंह सभा' को फिर से हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है. साल 1911 में निर्मित इस गुरुद्वारे को क्षेत्र की सिख विरासत और आधारसिला के रूप में जाना जाता रहा है, लेकिन साल 1947 में देश के बंटवारे के बाद इस गुरुद्वारे को सिखों से छीन लिया गया और उसी जगह पर मॉडल हाईस्कूल खोल दिया गया.
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