पाकिस्तान की एक महिला डॉक्टर का वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो में डॉक्टर पाकिस्तानियों की अज्ञानता का पोल खोलते हुए नजर आ रही हैं. उन्होंने अपने निजी अनुभव के हवाले से ये बात साबित करने की कोशिश की है. महिला डॉक्टर का कहना है कि उसकी कौम में दोहरा रवैया पाया जाता है. दोहरे रवैये को महिला डॉक्टर कीड़ा की संज्ञा देती हैं. उन्होंने अपने साथ घटी कई घटनाओं के हवाले से मरीज के परिजनों को मौत का जिम्मेदार माना.


उन्होंने बताया कि एक बच्चे को उसके परिजन गंभीर स्थिति में लेकर आए. जब उन्हें बताया गया कि बच्चे को इनक्यूबेटर में रखा जाएगा तब उन्होंने कहा कि शीशे के डिब्बे के अंदर मरीज को सांस लेना मुश्किल हो जाएगा. डॉक्टर के लाख समझाने पर भी मरीज के परिजन नहीं माने और आखिरकार उसे लेकर चले गए.




महिला डॉक्टर ने पाकिस्तानियों को सुनाई खरी-खरी

उन्होंने पाकिस्तानियों के बारे में टिप्पणी की, "किसी विषय के बारे में पता नहीं होने पर भी उन्हें विशेषज्ञ बनने का जुनून सवार होता है." उनका कहना है कि अफवाहबाज पहले अपने दिमाग में कुछ राय बनाते हैं फिर विशेषज्ञ बनकर लोगों को बताते हैं. उनके मुताबिक महामारी काल में डॉक्टरों के प्रति अविश्वास की खाई गहरी होती दिख रही है. कोरोना वायरस का मरीज अस्पताल में दाखिल होता है तब कहा जाता है कि डॉक्टर उसे जहर का टीका लगा देते हैं. जब संदिग्ध मरीज के परिजनों को दाखिल कराने की जरूरत बताई जाती है तो लोग डर के मारे ऐसा करने से इंकार कर देते हैं. जिससे कई बार घर पर मरीज की हालत बिगड़ जाती है तो कई बार मौत का सामना भी करना पड़ता है.

दोमुंहेपन पर लोगों को बनाया गुस्से का निशाना

उन्होंने कहा कि आखिरी हालत में पाकिस्तानी मरीज को अस्पताल लाते हैं और जब मौत हो जाती है तब इसका जिम्मेदार डॉक्टर को मानते हैं. जबकि ये सिर्फ उनकी अज्ञानता और अफवाह पर विश्वास करने के कारण होता है. डॉक्टरों के बताने पर अगर मरीज को अस्पताल में एडमिट करा दिया जाए तब उसके बचने की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने पाकिस्तानियों से अपने अंदर पनप रही शंका के बादल दूर करने की अपील की. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, "अगर लोगों को हकीकत जाननी है तो उन्हें चाहिए कि स्वास्थ्य कर्मियों की आकर मदद करें. उन्हें पता चल जाएगा कि डॉक्टरों को किन हालात का सामना करना पड़ता है. उनके लिए किसी मरीज की मौत उनकी निजी क्षति होती है."


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