नई दिल्ली: ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कारपोरेशन यानी OIC की बैठक का पाकिस्तान ने बहिष्कार कर दिया है. पाकिस्तान, भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को OIC द्वारा विशेष अतिथि के तौर पर बुलाने को लेकर बौखलाया हुआ है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि वह विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. इससे साफ है कि पाकिस्तान की स्थिति इस वक्त 'खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे' जैसी है.
दरअसल, पुलवामा हमले के बाद भारत की कार्रवाई से बौखलाया पाकिस्तान अब अपना गुस्सा OIC पर उतार रहा है. हालांकि, OIC के सदस्य देशों पर पाकिस्तान के दबाव का कोई असर नहीं पड़ा रहा है, इसलिए अब पाकिस्तान ने बैठक से खुद को अलग कर लिया है.
वहीं शाह महमूद कुरैशी के बयान पर विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा, ''ये महमूद कुरैशी की इच्छा है वो जो करना चाहते हैं करें. हमारी सरकार एक्शन लेने के लिए सक्षम है, लेकिन हम अपनी रणनीति को सार्वजनिक नहीं करेंगे.''
बता दें कि 56 इस्लामी राष्ट्रों का समूह IOC ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को विशिष्ट अतिथि की तौर पर निमंत्रण दिया है. यह पहली बार है जब भारत इसका हिस्सा होगा. सुषमा स्वराज को निमंत्रण देना इस लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस संगठन ने भारत-जैसे राष्ट्र का सदा बहिष्कार किया है. भारत में दो-तीन मुस्लिम देशों को छोड़कर दुनिया के सबसे ज्यादा मुसलमान रहते हैं लेकिन इस संगठन ने भारत को सदस्यता देना तो दूर, पर्यवेक्षक का दर्जा भी आजतक नहीं दिया है. जबकि पर्यवेक्षक की तौर पर रूस, थाईलैंड और कई छोटे-मोटे अफ्रीकी देशों को हमेशा बुलाया जाता है.
OIC में निमंत्रण मिलना क्यों महत्वपूर्ण है
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट है कि कश्मीर विवाद पर अपना झूठा हक जताए रखने के लिए पाकिस्तान ने अक्सर ओआईसी में अपनी सदस्यता का लाभ उठाया है. उसने हमेशा भारत को परिषद से बाहर रखने की भी पैरवी की है.1969 में पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल याह्या खान ने मांग की कि ओआईसी भारत का बहिष्कार करे. पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि OIC कश्मीर में जनमत संग्रह के लिए अपनी मांगों का समर्थन करता है.
बता दें कि 2006 में उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने ओआईसी में शामिल होने के लिए कहा था लेकिन असफल रहे. सऊदी अरब, कतर और बांग्लादेश इस बात पर सहमत हुए हैं कि भारत को पर्यवेक्षक का दर्जा मिलना चाहिए, लेकिन पाकिस्तान ने इन प्रस्तावों का विरोध किया है. 2016 में, MEA ने एक बयान जारी कर कहा था कि कश्मीर पर OIC की चर्चा गलत तथ्यों पर आधारित होती है.
पाकिस्तान के रवैये को देखते हुए भारत का OIC में हिस्सा लेना महत्वपूर्ण है. विशेषज्ञों का कहना है कि पुलवामा हमले को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद भारत को निमंत्रण मिलने से पाकिस्तान बैकफुट पर आ सकता है. साथ कश्मीर के मसले पर भी भारत मजबूती के अपना पक्ष रखेगा और पाकिस्तान को बेनकाब करेगा.