Pakistan Target India On Pannu: हाल ही में अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने अमेरिका में खालिस्तानी आतंकवादी को मारने की साजिश को नाकाम कर दिया है. इसको लेकर अमेरिका ने भारत को चेतावनी भी दी. रिपोर्ट के मुताबिक सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की साजिश की गई थी. इसी मुद्दे को लेकर पाकिस्तान ने भारत पर उंगली उठाई है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने गुरुवार (24 नवंबर) को भारत पर वैश्विक स्तर पर जासूसी और गैर-क्षेत्रीय हत्याओं में शामिल होने का आरोप लगाया. इस को लेकर उन्होंने चिंता भी व्यक्त की.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत पर अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन करने का आरोप लगाया. प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने आरोप लगाते हुए कहा कि भारत का जासूसी और हत्याओं का नेटवर्क वैश्विक हो गया है. उन्होंने फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हम भारत के लापरवाह और गैर-जिम्मेदार आचरण के बारे में चिंतित हैं, जिसे हम अंतरराष्ट्रीय कानून और राज्य संप्रभुता के संयुक्त राष्ट्र सिद्धांत का स्पष्ट उल्लंघन मानते हैं.
भारत को चिंताओं से अवगत कराया
बता दें कि फाइनेंशियल टाइम्स (FT) ने मामले से परिचित लोगों का हवाला देते हुए बुधवार (22 नवंबर) को बताया कि अमेरिकी अधिकारियों ने अमेरिका में एक सिख अलगाववादी को मारने की साजिश को विफल कर दिया. फिलहाल इस रिपोर्ट पर भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को राजनयिक चेतावनी के अलावा अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने न्यूयॉर्क जिला अदालत में कम से कम एक संदिग्ध के खिलाफ सीलबंद अभियोग भी दायर किया है. इस पर बाइडेन प्रशासन ने हत्या की साजिश पर भारत को अपनी चिंताओं से अवगत कराया है.
कनाडा को लेकर भारत का विवाद
इससे पहले सितंबर में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियां जून में ब्रिटिश कोलंबिया में सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों को जोड़ने वाले विश्वसनीय आरोपों की सक्रिय रूप से जांच कर रही थीं. इन आरोपों को भारत ने सिरे से नकार दिया और बेबुनियाद करार दिया. इसके बाद कनाडा ने देश में एक भारतीय गुप्त राजनयिक को भी निष्कासित कर दिया था. हालांकि, इस पर भारत ने एक्शन लेते हुए कनाडा के राजनयिक को निष्कासित कर दिया और 41 अधिकारियों को वापस कनाडा जाने को कहा. इसके अलावा वीजा पर भी पाबंदी लगा दी थी.