India-Pakistan Relation: पाकिस्तान मौजूदा वक्त में गंभीर आर्थिक संकट में फंसा हुआ है. कोई कर्ज देने को तैयार नहीं है. पाकिस्तान के अपने पड़ोसियों से भी रिश्ते ठीक नहीं हैं. भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर काफी वक्त से मतभेद हैं. इस बीच पाकिस्तान की सरकार को उनके अपने लोग ही नसीहत दे रहे हैं. पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग आईएसपीआर के पूर्व डायरेक्टर जनरल (DG) मेजर जनरल (R) अतहर अब्बास ने रविवार (19 फरवरी) को भारत के साथ संबंधों को बेहतर करने की सलाह दी. 


मेजर जनरल (R) अतहर अब्बास (Athar Abbas) ने कहा कि सैन्य के अलावा कई और स्तरों पर पाकिस्तान (Pakistan) को भारत के साथ बातचीत करने की जरूरत है.


पाकिस्तान सरकार को नसीहत


इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के पूर्व महानिदेशक (डीजी), मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अतहर अब्बास ने रविवार को एक होटल में आयोजित 14वें कराची लिटरेचर फेस्टिवल के अंतिम दिन एक पैनल चर्चा के दौरान कहा कि फिलहाल संवाद हमारे देश की जरूरत है. अगर आप इसे सिर्फ सुरक्षा एजेंसी पर छोड़ देते हैं तो आगे रिश्तों को सुधारने के लिए कदम नहीं बढ़ाए जा सकेंगे. ये एक कदम आगे और दो कदम पीछे हटने जैसा होगा. 


कई क्षेत्रों में पहल की जरूरत


अतहर अब्बास ने कहा कि इसके लिए और भी पहल करने की जरूरत है. जैसे ट्रैक II डिप्लोमेसी, मीडिया, व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में कदम बढ़ाने की जरूरत है. वे भारतीय समाज के अंदर बातचीत कर सकते हैं और अपनी जगह बना सकते हैं. इससे भारत सरकार और राज्य के अधिकारियों पर दबाव बनता है कि उन्हें यह देखना चाहिए कि लोग क्या कह रहे हैं. यह समय की मांग है और मौजूदा वक्त में बातचीत पाकिस्तान की जरूरत है. 


भारत-पाकिस्तान में कब सुधरेंगे रिश्ते?


अतहर अब्बास ने आगे कहा कि अगर प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, तो पाकिस्तान अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे बाहरी तत्वों को भी शामिल कर सकता है. यह पूछे जाने पर कि पड़ोसियों के साथ बातचीत कितनी जल्दी संभव हो पाएगी, जनरल अब्बास ने कहा, ''आप अपने पड़ोसी को नहीं बदल सकते. आखिरकार, उन्हें बातचीत की मेज पर आना ही होगा, भले ही उन्हें लगता है कि वह एक बड़ी ताकत हैं''


'सिर्फ सेना पर भरोसा नहीं करना चाहिए'


पूर्व डीजी आईएसपीआर ने टिप्पणी की कि पाकिस्तान में अस्थिरता भारत में भी फैल जाएगी. उन्होंने कहा, "हमें केवल आर्मी की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए बल्कि अन्य विकल्पों की ओर भी देखना चाहिए''. उन्होंने भारत के तत्कालीन पीएम अटल बिहार वाजपेयी की बस डिप्लोमेसी और मुशर्रफ की आगरा पहल का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पहले भी दोनों देशों ने बातचीत शुरू करने के कई अवसर गंवाए हैं. 


पाकिस्तान में सियासी संकट


अब्बास ने पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे देश से बात करना मुश्किल होगा जो खुद के साथ युद्ध में है. विदेशी मामलों के विश्लेषक माइकल कुगेलमैन ने चर्चा के दौरान बताया कि भले ही भारत और पाकिस्तान में हमेशा तनाव है लेकिन हाल के वर्षों में नियंत्रण रेखा अपेक्षाकृत शांत रही है. उन्होंने कहा, ''मैं भविष्य में दोनों देशों के संबंधों के बीच कोई सुधार के संकेत नहीं देख पा रहा हूं. मुझे लगता है कि यह शर्म की बात है क्योंकि दोनों देश आर्थिक संबंधों से लाभान्वित हो सकते हैं."


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