Imran Khan On Dissolving Assemblies: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई प्रमुख इमरान खान लगातार अपने विरोधियों पर निशाना साध रहे हैं. बुधवार (21 दिसंबर) को इमरान खान ने कहा कि पंजाब प्रांत (Punjab Province) और खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) की विधानसभाओं को भंग करना उनकी पार्टी का संवैधानिक अधिकार है. पीटीआई प्रमुख की यह टिप्पणी विपक्षी दल पीपीपी और पीएमएल-एन के विधायकों की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर की गई.


दरअसल, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में अभी इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी पीटीआई की सरकार है. पीटीआई और सहयोगी दलों की सरकार के मुख्यमंत्री परवेज इलाही को विधानसभा भंग करने से रोकने के लिए विपक्षी दलों की ओर से एक अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है. जिस पर सरकार की ओर से कहा गया कि पंजाब के गवर्नर बलिगुर रहमान अविश्वास प्रस्ताव पर वोट करवाने के लिए मुख्यमंत्री परवेज इलाही पर दबाव बना सकते हैं.


पाकिस्तान में न्याय व्यवस्था कायम होना जरूरी-  इमरान खान


पीटीआई प्रमुख इमरान खान ने लाहौर में अपने आवास पर वकीलों के प्रतिनिधि मंडल से बातचीत के दौरान कहा कि 'जब तक पाकिस्तान में कानून का राज नहीं होता, तब तक देश तरक्की नहीं कर सकता है. अमेरिका की गुलामी से निजात पाने के लिए हमें न्याय व्यवस्था को फिर से बहाल करना होगा. साथ ही सभी संस्थाओं को अपने दायरे में ही काम करना चाहिए.'


पूर्व आर्मी चीफ बाजवा पर फिर साधा निशाना


इमरान खान ने एक बार फिर से पाकिस्तानी सेना के पूर्व चीफ कमर जावेद बाजवा को पाकिस्तान की हालिया स्थिति का जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि कमर जावेद बाजवा पाकिस्तान में आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार हैं. वहीं, खान ने दोहराया कि विधानसभाओं को भंग करना उनका संवैधानिक अधिकार है. हालांकि, वकीलों के प्रतिनिधि मंडल ने इमरान खान को बताया कि पंजाब गवर्नर का सीएम इलाही को अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए कहना अवैध है. इमरान खान ने वकीलों से इस मामले के खिलाफ पूरे देश में एक आंदोलन चलाने को कहा. 


क्या कहता है पाकिस्तान का संविधान?


पाकिस्तान के संवैधानिक कानून के अनुसार, अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के बाद मुख्यमंत्री विधानसभा को भंग नहीं कर सकते हैं लेकिन इमरान खान इस बात पर अड़े हुए हैं. गवर्नर को यह तय करना होगा कि सीएम अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग के दौरान सरकार को बचाने के लिए 186 वोट पा सकें. अगर ऐसा नहीं होता है, तो सरकार अपने आप ही गिर जाएगी.


हालांकि, पीटीआई और सहयोगी दलों ने दावा किया है कि पीएमएल-एन और पीपीपी का ये दांव पंजाब के सीएम को अवैध रूप से हटाने और आम चुनावों से बचाने की कोशिश भर है. पीटीआई के पास पंजाब प्रांत विधानसभा में 177 और पीएमएल-क्यू के पास 10 सदस्य हैं. दूसरी ओर विपक्ष (पीएमएल-एन, पीपीपी और अन्य दलों) के पास 176 सदस्य हैं.


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